Book Title: Bharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Author(s): Nemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
Publisher: Prachya Shraman Bharati
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भारतीय संस्कृतिके विकासमें जैन वाङ्मयका अवदान शारीरिक दृष्टिसे उदर, पाचन संस्थान, आंतें, स्तन, गर्भाशय एवं अंगोंपर इसका प्रभाव पड़ता है।
आन्तरिक व्यक्तित्वके प्रथम रूप विचारका प्रतीक शुक्र है । यह सूक्ष्म मानव चेतनाओं की विधेय क्रियाओंका प्रतिनिधित्व करता है । पूर्णबली शुक्र निःस्वार्थ प्रेमके साथ प्राणी मात्रके प्रति भ्रातृत्व भावनाका विकास करता है ।
___अनात्मिक दृष्टि बिन्दुकी अपेक्षासे सुन्दर वस्तुएं आभूषण, मनोरंजन की सामग्री, नृत्य- गान, वाद्य, शृंगारिक पदार्थ, कलात्मक वस्तुएँ एवं भोगोपभोगको सामग्री आदि पर प्रभाव पड़ता है।
आत्मिक दृष्टिसे स्नेह, सौन्दर्य-बोध, आनन्दानुभूति, परखबुद्धि, कार्य-अर्हता एवं जिज्ञासा आदि पर इसका प्रभाव पड़ता है।
शारीरिक दृष्टिसे गला, गुर्दा, आकृति, वर्ण, केश, वीर्य, शक्ति प्रभृतिसे सम्बद्ध है । साधारणतः शरीर संचालित करनेवाले अंगोंपर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है ।
आन्तरिक व्यक्तित्वके द्वितीय रूपका प्रतिनिधि बुध है । यह प्रधान रूपसे आध्यात्मिक शक्तिका प्रतीक है। इसके द्वारा आन्तरिक प्रेरणा सहेतुक निर्णयात्मक बुद्धि, वस्तु परीक्षण शक्ति, समझ और बुद्धिमानी आदिका विश्लेषण किया जाता है । बुध द्वारा आन्तरिक व्यक्तित्वका गम्भीर अध्ययन किया जा सकता है ।
अनात्मिक दृष्टि से विद्यालय, महाविद्यालय सम्बन्धी शिक्षण, विज्ञान, वैज्ञानिक और साहित्यिक स्थान, प्रकाशन-स्थान, सम्पादक, लेखक, प्रकाशक, पोस्ट मास्टर, व्यापारी एवं बुद्धिजीवियोंपर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है । पीत रंग और पारा धातुका भी यह प्रतीक माना गया है।
आत्मिक दृष्टिसे विवेक स्मरण शक्ति, तार्किक प्रतिभा, कला, कला उत्पादनको शक्ति एवं मेधाका विचार किया जाता है।
__शारीरिक दृष्टिसे यह मस्तक संस्थान, स्नायु क्रिया, जिह्वा, वाणी, हाथ एवं अंगुलियों के आकार-प्रकारका प्रतिनिधि है ।
___ आन्तरिक व्यक्तित्वके तृतीय रूपका प्रतीक सूर्य है। इसकी सात किरणें मानी गयी हैं, जो कार्य रूपसे भिन्न-भिन्न होती हुई भी इच्छाके रूपमें पूर्ण होकर प्रकट होती हैं। मनुष्यके विकासमें सहायक तीनों प्रकारकी चेतनाओंके सन्तुलित रूपका यह प्रतिनिधि है । पूर्ण इच्छा शक्ति, ज्ञान शक्ति, सदाचार, विश्राम, शान्ति, जीवनकी उन्नति एवं विकासका द्योतक है।
___अनात्मिक दृष्टिकोणकी अपेक्षासे प्रभावक व्यक्ति-शासक, ए० पी०, एम०एल०ए०, सेनापति, न्यायाधीश, मण्डलाधिकारी, आविष्कारक, पुरातत्त्ववेत्ता, उच्च शिक्षाधिकारी आदि पर अपना प्रभाव डालता है।
आत्मिक दृष्टिसे यह प्रभुता, ऐश्वर्य, प्रेम, उदारता, महत्त्वाकांक्षा, आत्मविश्वास, आत्मनियन्त्रण, विचारों और भावनाओंका सन्तुलन एवं सहृदयताका प्रतीक है।