Book Title: Bharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Author(s): Nemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
Publisher: Prachya Shraman Bharati
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ज्योतिष एवं गणित
और कलाईके पास कम चौड़ी भी हथेली देखी जाती है । यदि चमषाकार हाथ अंगुलियोंके मूलमें चौड़ी हो तो व्यक्ति कार्यशील और व्यवहार प्रवीण होता है । कवि या कल्पनाशील भी इस प्रकारके हाथवाले होते हैं । ये जीवन में उपयोगी पदार्थोंका आविष्कार भी करते हैं । यदि हाथ मणिबन्धकी ओर ज्याद बड़ा हो तो ऐसे व्यक्तियोंकी बुद्धि संसारके कार्योंमें अधिक गतिशील होती है ओर ये संसार में नयी क्रान्ति करते हैं । अंगुलियोंके गांठदार होनेपर मनुष्य परिश्रमी होता है । यदि चमषाकार हाथकी अंगुलियाँ गाँठदार न हों और चिकनी हों तो व्यक्ति हस्तकला में अत्यन्त प्रवीण होता है । चिकनी होने के साथ लम्बी अंगुली वाला व्यक्ति पेड़-पौधों और खेती-बारी के काम में विशेष रुचि लेता है ।
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दार्शनिक हाथ प्राय लम्बा, गठीला, कोणाकार और बीचमें झुका हुआ होता है । अंगुलियों के जोड़ उभरे हुए तथा नाखून बे होते हैं । दार्शदिक हाथवाले व्यक्ति भावुक, विवेकी, आध्यात्मिक, तत्वज्ञानी, वैज्ञानिक, चिकित्सक, रासायनिक, गवेषणाप्रिय, कर्तव्य परायण, कार्यकुशल, योगी, ज्ञानी और नेता होते हैं । दार्शनिक हाथवाले स्वाभिमानी और प्रकृति से गम्भीर होते हैं । ये अधिक धनी नहीं होते । यदि धन प्राप्त भी हुआ तो उसे ये शीघ्र ही खर्च कर डालते हैं ।
व्यावसायिक या शिल्पी हाथ की अंगुलियाँ ऊपर के सिरेपर पतली, मूलमें भरी हुई और मोटी होती हैं । हाथकी लम्बाई, चौड़ाई, मध्यम प्रकारकी होती है । इस प्रकारके हाथ वाले विलासी, शौकीन, भावुक, गुणवान, अधीर, आलसी, देशाटन प्रेमी, वक्ता, कल्पनाप्रिय एवं धर्यहीन होते हैं । किसी कामको करनेमें शीघ्रता करना और फिर उसे बिना समाप्त किये ही बीच में छोड़ना उनका स्वभाव होता है । इनपर दूसरोंका प्रभाव बहुत जल्दी पड़ता है । शिल्पी हाथ- हाथ की प्रमुख विशेषता अंगुलियोंपर आश्रित है । गांठदार अंगुलियोंके रहनेसे इस हाथ वाला सौन्दर्यप्रेमी और ऐश्वर्यवान होता है ।
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निकृष्ट हाथ आवश्यकतासे अधिक मोटा, भारी और भद्दे आकारका होता है । इस प्रकारका हाथ खुरदुरा होता है तथा अंगुलियाँ और नाखून छोटे एवं रेखाएँ भी कम होती हैं । अंगूठा छोटा मोटा और चौकोर होता है । अंगुलियोंकी लम्बाईके आधारपर इस प्रकार के हाथ के अनेक भेद हो सकते हैं । निकृष्ट हाथवाला मन्दबुद्धि और दुष्ट प्रकृतिका होता है । पाशविकताकी और अधिक प्रवृत्ति देखी जाती है । स्वभावतः क्रोधी, भीरु, वासनाप्रिय, धनपिपासु और लोभी होता है । यह वासनाओं की तृप्ति में पशुओं जैसा जीवन व्यतीत करता है । जितनी अधिक बड़ी हथेली होती है पाशविकताका संकेत उतना ही अधिक प्राप्त होता है । निकृष्ट हाथ वाले शिक्षित हो सकते हैं किन्तु उनकी शिक्षाका उपयोग स्वार्थ साधनके लिए ही होता है ।
विषम हाथकी संज्ञा आदर्शवादी हाथ भी प्राप्त होती है । यह हाथ देखनेमें सुन्दर, लम्बा, अंगुलियाँ सिरपर अधिक पतली, नोकदार, मृदुल, शिरपर उभरी हुई एवं नाखून लम्बे तथा बादामकी आकृतिके होते हैं । इस हाथकी प्रमुख विशेषता यह है कि अंगुलियाँ ऊपरसे पतली और लम्बी होकर नीचे की ओरसे मोटी होती हैं। इस प्रकारके कल्पनाशील, महत्वाकांक्षी और अधैर्यशील होते हैं । परिश्रम और उद्योग
हाथ वाले व्यक्ति करनेसे दूर रहना