Book Title: Bharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Author(s): Nemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
Publisher: Prachya Shraman Bharati
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भारतीय संस्कृति के विकास में जैन वाङ्मयका अवदान
एक युगमें सौर दिन =
चान्द्र मास =
चान्द्र दिन
क्षय दिन
भगण वा नक्षत्रोदय
"
11
२ भाद्रपद
३ आश्विन
४
कार्तिक
५
मार्गशीर्ष
६ पौष
३०
१८३०
चान्द्र भगण =
६७
१७६८
चान्द्र सावन दिन = एक सौर वर्ष में नक्षत्रोदय एक अयनसे दूसरे अयन पर्यन्त सौर दिन = १८०
३६७
एक अयनसे दूसरे अयन तक सावन दिन = १८३
"1
वर्तमान महीनोंके नाम
१
श्रावण
फाल्गुन
=
=
=
प्राचीन जैन महीनोंके नाम भी वर्तमान महीनोंके नामोंसे भिन्न मिलते हैं । उनका विवरण इस प्रकार है :
१८००
६२
१८६०
=
प्राचीन जैन महीनोंके नाम
अभिनन्द
सप्रतिष्ठा
विजया
प्रतिवर्धन
श्रीयान्
शिव
७ माघ
८ ९ चैत्र
१० वैशाख
११
ज्येष्ठ
१२ आषाढ़
जैन आगम में संवत्सरका मान चार प्रकार का माना गया है ।
(१) नाक्षत्र संवत्सर = १२ नाक्षत्र मास = १२ x २७३७ दिन = ३२७६७ दिन
(२) युगसंवत्सर
(३) प्रमान संवत्सर
(४) शनि संवत्सर
शिशिर
हैमवान्
वसन्त
कुसुमसंभव
निदाघ
दान-विरोधी
इनमें से पहले नाक्षत्र सम्वत्सरके १२ भेद हैं । श्रावण, भाद्रपद आदि । जब बृहस्पति सभी नक्षत्र समूहको भोगकर पुनः अभिजित् पर आता है तब यह महानाक्षत्र संवत्सर होता है । इसका समय १२ वर्षका है ।
=
चान्द्रवर्ष = २९३३ × १२ = ३५४ + ३ दिन अधिक मास सहित चान्द्रवर्ष : ३८३६ दिन सौरवर्ष = १२ x ३० = ३६६ दिन ।