Book Title: Bharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Author(s): Nemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
Publisher: Prachya Shraman Bharati
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जैन तीर्थ, इतिहास, कला, संस्कृति एवं राजनीति पार्श्वनाथ हिलकी तलहटी धौलीके निकट यो । इसी कारण सम्राट्ने इस पवित्र क्षेत्रको तलहटीमें शिलालेख खुदवाया था। इस शिलालेखके पास स्थूल हाथीकी मूत्ति अंकित की गयी है, जो इस बातको प्रकट करती है कि सम्राट् इस स्थानको अन्य स्थानोंकी अपेक्षा विशेष पवित्र समझता था, क्योंकि इस पर्वतपरसे बीस तीर्थङ्करोंने निर्वाण लाभ किया है। प्राचीनकालमें खण्डगिरि, उदयगिरि सम्मेदशिखर पर्वतके ही अन्तर्गत थे । खण्डगिरि नाम स्वयं इस बातका द्योतक है कि पहाड़के खण्डित हो जाने के कारण ही यह नाम पड़ा है। महाराज खारवेलके सययमें सम्मेदशिखर पर्वतकी श्रेणियाँ खण्डगिरि, उदयगिरि तक थीं। कलिंग नृपति खारवेलने खण्डगिरि हाथी गुफाका शिलालेख इसी कारण खुदवाया था कि वह इसे सम्मेदशिखर पर्वतका भाग मानता था।
४. रूपनाथ' (लघु शिलालेख)-बारहवें तीर्थकर वासुपूज्यको निर्वाण भूमि चम्पापुरोके आस-पासका कोई पर्वत था। इस चम्पापुरीको महाराज कुणिकने ई० पू० ५२४ में बसाया था। यह चम्पानगरी रूपनाथ और भरहुतके बीचमें थी। चम्पानगरीके निकटके पर्वतकी तलहटी रूपनाथमें ही थी । यद्यपि इस स्थानपरके लेख अस्पष्ट हैं तथा हाथीका चिह्न भी मिट गया प्रतीत होता है।
५. पावापुरी-यह अन्तिम तीर्थंकर भगवान् महावीर स्वामीको निर्वाणभूमि है । जिस प्रकार अन्य तीर्थंकरोंने पर्वतके ऊपर ध्यानारूढ़ हो निर्वाण लाभ किया था, उस प्रकार भगवान् महावीरने नहीं। इन्होंने निर्जन सुरम्य वनके मध्य पद्मसरोवरसे युक्त पावापुरीके स्थल भागसे शुक्ल ध्यान द्वारा निर्वाण लाभ किया है । इस स्थानपर कोई पहाड़ न होनेके कारण सम्राट् सम्प्रति शिलालेख नहीं खुदवा सका है ।
६.७ शाहबाज गढ़ी और मानसेरा-ये दोनों स्थान इनके वंशके लोगोंके मृत्यु स्थान हैं। सम्राट् बिन्दुसारका ज्येष्ठ पुत्र पंजाबके विद्रोहको शान्त करने गया था। उपद्रवकारियोंने शाहबाज गढ़ीमें इसकी हत्या कर दी थी। सम्राट् सम्प्रतिने इसी कारण शाहबाज गढ़ी में शिलालेख अंकित कराया। मानसेरा सम्राट अशोकके छोटे भाईका मृत्यु स्थान है, वहाँ भी किसी उपद्रवको शान्त करने गया था।
१. आजकल रूपनाथ मध्यप्रदेशके जबलपुर जिलेमें माना जाता है, प्राचीन चम्पापुरी रूपनाथ
और भरहुतके मध्यमें थी तथा वासुपूज्य स्वामीका निर्वाण भी इसी चम्पापुरीके निकटवाली पहाड़ीसे हुआ था। २. यह गांव पश्चिमोत्तर सीमाप्रान्तके पेशावर जिलेको युसुफजई तहसीलमें है । इसके पास
एक चट्टानपर चौदह प्रज्ञापनाएं उत्कीणित हैं। यह पहाड़ी पेशावरसे ४० मील
उत्तर-पूर्व है। ३. यह पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्तके हजारा जिलेमें अबटाबाद नगरसे १५ मील उत्तरकी
ओर है।