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देने को चाहता है, जिस कारण ये कभी-कभी स्वयं बहुत परेशान रहते हैं, परन्तु दूसरों को परेशान देख कर इनका दिल दहल जाता है। छोटे बच्चों पर इन्हें अत्यधिक प्रेम आता है और बच्चों को ये अच्छी शिक्षा देते हैं, जिससे बच्चे इनका गुणगान करते
अंगठा
हाथ की बनावट से जातक की प्रकृति, चरित्र या स्वभाव का अध्ययन करने में अंगूठे को वही स्थान प्राप्त है, जो मुखाकृति के अध्ययन में नाक को। अंगूठा जातक की स्वाभाविक इच्छा शक्ति का प्रतीक है, जबकि मस्तिष्क रेखा से उसकी मानसिक-शक्ति का ज्ञान होता है। पूरा अंगूठा तीन गुणों का प्रतिनिधित्व करता हैप्रेम, तर्क और इच्छा-शक्ति। प्रेम का स्थान अंगूठे के मूल में होता है, जिसको शुक्र का क्षेत्र घेरे रहता है। दूसरे पर्व से तर्क का विचार होता है और प्रथम से इच्छा शक्ति की जानकारी प्राप्त होती है। जो अंश छोटा हो, जातक में उसी के गुणों की कमी होती है।
अंगूठे मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं- लचकदार और दृढ़ जोड़ वाले। लचकदार अंगूठा वह होता है जो अपनी गांठ पर ऐसा लचकदार होता है कि सरलता से उसका ऊपरी भाग पीछे की ओर मुड़ जाए।
चित्र : 6 लचकदार अंगूठे के स्वामी स्वभाव से अदृढ़ होते हैं। वे रूढ़िवादी नहीं होते और खुले दिल के होते हैं। जैसी परिस्थितियां सामने आयें, वे अपने आपको उन्हीं के अनुकूल बना लेते हैं। उनका स्वभाव हठी । भी नहीं होता, यदि मस्तिष्क रेखा सीधी न होकर नीचे की ओर झुकाव लेती हो तो। यदि मस्तिष्क रेखा सीधी हो तो वे अधिक लौकिक रीति के अनुसार काम करने वाले बन जाते हैं। लचकदार अंगूठे वाले तन, । मन, धन से उदार हृदय होते हैं। दृढ़ जोड़ वाले अंगूठे वालों के मुकाबले चित्र : 7 ये लोग अधिक फिजूल खर्च करने वाले होते हैं। वे देते अधिक हैं, लेते कम हैं।
अंगूठा जितना ही हाथ के किनारे के निकट हो, उतना ही जातक में वस्तुओं को रोककर रखने की प्रवृत्ति होती है। जो लोग कंजूस होते हैं, उनके अंगूठे हाथ के किनारे से अधिक निकट होते हैं।
लचकदार अंगूठे वाले किसी भी बात में क्षणभर में निर्णय कर लेते हैं, परन्तु दृढ़ जोड़ के अंगूठे वाले बिना पूर्णरूप से सोच-विचार किये किसी निर्णय पर नहीं
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