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यह रेखा निर्दोष होने पर जीवन रेखा का सहारा मानी जाती है। जीवन रेखा दोषपूर्ण होने पर मंगल रेखा हो तो दोषों में कमी हो जाती है। अहितकर घटनाएं केवल मानसिक तनाव को छोड़कर अन्य फल नहीं देती-उदाहरणार्थ बीमार होने पर मंगल रेखा की उपस्थिति में बीमारी ठीक हो जाती है। शरीर में कोई दुष्प्रभाव छोड़कर नहीं जाती। दोषपूर्ण मंगल रेखा होने पर यदि जीवन रेखा में भी दोष हो तो कठिनाइयां अधिक आती हैं। जीवन रेखा के दोष से कठिनाइयों का जितना अनुमान होता है, मंगल रेखा
चित्र-176 में दोष होने पर उससे कहीं अधिक कठिनाइयों का सामना उस आयु में करना होता है। मंगल रेखा हाथ में तीन प्रकार से पाई जाती है
1.पहली प्रकार से जीवन रेखा से अलग होकर, यह रेखा निकलती है और इससे लगभग आधा या तीन चौथाई इन्च दूरी पर पूरी जीवन रेखा के साथ चलती है। ऐसी मंगल रेखा स्त्रियों या स्त्रियों से सम्बन्धित कार्यों जैसे श्रृंगार-सामग्री आदि से लाभ का लक्षण है।
2. दूसरे प्रकार की मंगल रेखा, मंगल से निकल कर जीवन रेखा से आधा इन्च या इससे भी दूरी पर होकर निर्दोष रूप में जीवन रेखा के साथ चलती है। यह मंगल रेखा केवल स्त्रियों से होने वाले लाभ का लक्षण है। ऐसे व्यक्तियों के किसी से अनैतिक सम्बन्ध देखे जाते हैं। ये सम्बन्ध लम्बे समय तक रहते हैं और लाभप्रद होते हैं। 3. तीसरे प्रकार की मंगल रेखा, जीवन रेखा के बिल्कुल आरम्भ से न निकलकर
बीच में कहीं से निकलकर जीवन रेखा से दूर होती हुई, शुक्र पर चली जाती है। ऐसी मंगल रेखा भूमि या सम्बन्धित व्यवसायों से लाभ होने के लक्षण हैं। ___ जीवन रेखा के आरम्भ से एक इन्च आगे, मंगल रेखा जैसी रेखा निकलकर शुक्र की ओर जाती है। यह
मंगल रेखा न होकर भाग्य रेखा होती है। इसका फल 2 जीवन में उत्तरोत्तर भाग्य व सुखवृद्धि होता है। ऐसे
व्यक्तियों का व्यावहार अपनी सम्पत्ति से मित्रवत् होता है। दोनों हाथों में होने पर यह अति श्रेष्ठ लक्षण है। (चित्र 177)इस रेखा का निकास जीवन रेखा से होता
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चित्र-177
मंगल रेखा दोषपूर्ण होने पर व्यक्ति क्रोधी व स्पष्ट "248
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