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अधिक छोटी होने पर विवाह देर से होता है।
उपरोक्त बताये गये विवाह रेखा के दोषों में से कोई एक या दो होने पर भाग्य रेखा में द्वीप, प्रभावित रेखा में द्वीप व हृदय रेखा की शाखा मस्तिष्क रेखा पर मिलती हो तो व्यक्ति को । गृहस्थी का सुख नहीं मिलता। ऐसी दशा में या तो ।' तलाक हो जाता है या जीवन साथी की मृत्यु हो जाती है। जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा का जोड़ अधिक लम्बा होने पर, यदि भाग्य रेखा व विवाह रेखा में दोष हो तो भी तलाक या स्थायी विछोह होता है।
विवाह रेखा का हृदय रेखा पर मिलना या हृदय रेखा को काटकर मस्तिष्क रेखा पर मिलना दोषपूर्ण लक्षण है। यह भी विछोह, तलाक या जीवन साथी की मृत्यु का सूचक है।
चित्र-189 विवाह रेखा का मुड़कर उंगलियों की ओर जाना शुभ लक्षण है। जिन हाथों में इस प्रकार की विवाह रेखा होती है, उनका गृहस्थ जीवन सुखी रहता है। अन्य रेखा में दोष होने के फलस्वरूप कुछ समय तक अशान्ति तो रह सकती है परन्तु अन्ततोगत्वा जीवन सुखी ही रहता है, तथापि भाग्य रेखा टूटी या द्वीपयुक्त होने पर उपरोक्त फल नहीं कहना चाहिए। __विवाह रेखा दोषपूर्ण होने पर, मस्तिष्क रेखा का निवास मंगल से हृदय रेखा की शाखा मस्तिष्क रेखा पर व हृदय रेखा में द्वीप, जीवन रेखा सीधी या दोषपूर्ण, मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से अधिक दूर होने पर कोई दो या अधिक लक्षण हों तो पति-पत्नी के सम्बन्ध ठीक नहीं रहते। प्रभावित रेखा कटी-फटी, भाग्य रेखा में द्वीप, शुक्र अधिक उन्नत, शक्र पर तिल, जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा का जोड़ लम्बा, मंगल से आई रेखाओं से जीवन रेखा कटी होना आदि गृहस्थ सुख, उत्तम होने के लक्षण नहीं हैं। शुक्र उठा हुआ व जीवन रेखा सीधी होने पर कामेच्छा अधिक होती है, इस कारण भी गृहस्थ जीवन में अशान्ति रहती है क्योंकि ऐसे व्यक्तियों के जीवन साथी में कामेच्छा कम होती है। लापरवाही आदि आदतों या पति-पत्नी में विचार विषमता के कारण गृहस्थ जीवन में अशान्ति रहती है। अधिक दोष होने पर यह अशान्ति, विछोह, तलाक या मृत्यु में परिवर्तित होती है। . जीवन रेखा गोलाकार, भाग्य रेखा पतली व जीवन रेखा से दूर, विवाह रेखा निर्दोष व पतली और लम्बी, हृदय रेखा से कोई शाखा मस्तिष्क रेखा पर न मिलने, भाग्य रेखा निर्दोष, शुक्र सामान्य, विलासकीय रेखा नहीं होने, अंगूठा बड़ा, बृहस्पति की उंगली लम्बी, शनि व सूर्य की उंगलियां सीधी होने पर व्यक्ति को जीवन साथी का
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