Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 260
________________ के उपासक पाये जाते हैं, परन्तु मस्तिष्क रेखा का झुकाव चन्द्रमा की ओर होने पर दुर्गा या वैष्णवी की सात्विक उपासना करते हैं। ऐसे व्यक्ति पूर्व जन्म में भी सच्चरित्र एवं शुभ कार्य करने वाले होते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये स्वर्ग से आकर स्वर्ग में जाते हैं। मोटी भाग्य रेखा, जीवन व मस्तिष्क रेखा का जोड़ लम्बा व मस्तिष्क रेखा में दोष आदि लक्षण होने पर पहले ये नौकरी, फिर साझे में व्यापार और फिर स्वतन्त्र व्यापार करते देखे जाते हैं। ये स्वयं व इनका वंश निरन्तर उन्नति करता है और सन्तान में भी उपरोक्त गुण पाये जाते हैं। विवाह रेखा 期 यह रेखा बुध की उंगली व हृदय रेखा के निकास स्थान के बीच में हृदय रेखा के समानान्तर होती है (चित्र - 189 ) । अधिक मोटी, अधिक पतली, क्रास युक्त, टूटी, द्वीपयुक्त व मुड़कर हृदय रेखा पर मिली हुई होने पर यह दोषपूर्ण मानी जाती है। अनेक व्यक्ति विवाह रेखा को लेकर ही विवाहों की संख्या निर्धारित करते हैं, परन्तु यह ठीक नहीं है, विवाह रेखा का अपना कोई स्वतन्त्र महत्व इस विषय में नहीं है। हाथ की अन्य रेखाओं में पाये जाने वाले लक्षणों के द्वारा ही इस विषय में जानकारी होती है। विवाह रेखा केवल सहायक लक्षण है। चित्र - 188 विवाह रेखा दोषपूर्ण होने पर व्यक्ति को विवाह सम्बन्धी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यह रेखा मुड़ कर हृदय रेखा पर मिलती हो तो ऐसे व्यक्तियों के जीवन साथी बीमार रहते हैं। विवाह रेखा में द्वीप, क्रास, सितारा आदि लक्षण होने पर मृत्यु या तलाक होता है। विवाह रेखा अन्त में द्विभाजित हो तो भी गृहस्थ जीवन में झंझटों का सामना करना पड़ता है । इस रेखा का स्वतन्त्र फल किसी भी दशा में नहीं कहना चाहिए। हाथ में अन्य लक्षणों के साथ समन्वय करने के पश्चात् ही फलों में निश्चितता होती है। Jain Education International कभी-कभी विवाह रेखा, हृदय रेखा के समानान्तर चलकर विशेष भाग्य रेखा से मिल जाती है व कभी यह बृहस्पति की उंगली तक गई देखी जाती है। ऐसी विवाह रेखा निर्दोष होने पर ससुराल से धन लाभ कराती है। दोषपूर्ण होने पर ससुराल तो बहुत धनी होती है, परन्तु धन लाभ नहीं होता। विवाह रेखा टेढ़ी, मोटी, लम्बी व 259 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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