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भी चन्द्र रेखा ही कहलाती है। परन्तु इसका सम्बन्ध केवल अन्तीन से है। साधक होने पर तो ऐसे व्यक्ति सरलता से सिद्धियां प्राप्त कर लेते हैं, साधक नहीं होने पर भी इन्हें भविष्य में होने वाली घटनाओं का स्पष्ट ज्ञान रहता है। यह रेखा जीवनरेखा से निकल कर चन्द्रमा व मंगल के बीच में ही होती है।
सूर्य रेखा
जा भी रेखा सूर्य पर जाती है, सूर्य रेखा कहलाती है। इसका निकास जीवन रेखा, भाग्य रेखा, मस्तिष्क रेखा व मंगल रेखा आदि से होता है। कई बार सूर्य रेखा एक-दो से अधिक भी देखी जाती है। इस रेखा का भी महत्व स्वतन्त्र नहीं है। यह रेखा हाथ के अन्य गुणों में वृद्धि करने वाली होती है (चित्र-197, 198 व 199)। सूर्य रेखा, जीवन रेखा से निकल कर सूर्य पर जाती हो, हाथ अच्छा भाग्य रेखाएं अनेक व विशेष भाग्य रेखा हो तो व्यक्ति प्रगतिशील, जनहित के कार्य करने वाला, नेता, राजनीति या यूनियनों में भाग लेने वाला होता है। इन्हें सिनेमा, होटल या जमीन खोदकर निकालने वाले पदार्थों से लाभ प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्तियों से जिनका विशेष सम्पर्क होता है, उनके हाथों में भी सूर्य रेखा होती है। डाक्टर, वैद्य, हकीम तथा सिनेमा सम्बन्धी कार्य करने वाले, वकील, पत्रकार व नेताओं के हाथों में इस प्रकार की सूर्य रेखा होती है। यहां एक बात ध्यान में रखने की है कि हाथ में अधिक रेखाएं होने पर केवल उन्हीं रेखाओं का फल होता है जो स्पष्ट व निर्दोष होती हैं, टूटी-फूटी व महीन रेखाओं का फल दब जाता है। __ जीवन रेखा से उदित सूर्य रेखा के साथ मंगल रेखा भी हो तो व्यक्ति धनी रहता है और भूमि सम्बन्धी कामों से विपुल धन सम्पत्ति अर्जित करता है। यदि जीवन रेखा के आरम्भ से कोई रेखा , बृहस्पति पर जाती हो तो इस फल में अनेक गुना वृद्धि करती है। स्वतन्त्र बृहस्पति रेखा होने पर तो ऐसे व्यक्ति करोड़पति होते हैं और जीवन में सभी प्रकार के सुख पाते हैं। __ भाग्य रेखा से सूर्य रेखा निकलने पर यदि जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा में एक ही आयु में त्रिकोण हो तो उस आयु में लाटरी, जुए, सट्टे या अन्य कहीं से अचानक धन लाभ होता है। सूर्य रेखा में भी त्रिकोण
चित्र-197 266
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