Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 266
________________ ( चन्द्र रेखा 0 यह रेखा जीवन रेखा से निकल कर चन्द्रमा के पर्वत पर जाती है (चित्र-196)। निर्दोष होने की दशा में इन्हें धन, यात्रा व विदेश यात्रा का योग कराती है। दोषपूर्ण होने पर ऐसे व्यक्ति मानसिक सन्तुलन की दृष्टि से ठीक नहीं होते। ये कल्पनाशील, अधिक विचारशील तथा अस्थिर मस्तिष्क के होते हैं। निर्दोष चन्द्र रेखा व्यक्ति के धनी होने का लक्षण है। चन्द्र रेखा निर्दोष होने पर जिस आयु में भाग्य रेखा में सुधार होता है, उस आयु में व्यक्ति धनी होना आरम्भ हो जाते हैं और अन्त में लाखों की सम्पत्ति अर्जित करते हैं। इतना अवश्य कहा जा सकता है कि ये अन्त में अपने स्तर के अनुसार धनी रहते हैं। अन्य छोटी रेखाओं की तरह चन्द्र रेखा का भी अपना स्वतन्त्र महत्व नहीं होता, अत: हाथ के अन्य लक्षणों का समन्वय करके चन्द्र रेखा का फल कहना चाहिए। चन्द्र रेखा होने पर, हाथ में विशिष्ट भाग्य रेखा व भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा पर रुकी हो तो व्यक्ति अनेकों बार विदेश जाते हैं। इनके कई संबंधी भी विदेश यात्रा करते हैं या विदेश में रहते हैं। एक हाथ में चन्द्र रेखा हो व भाग्य रेखा, मस्तिष्क रेखा पर रुके तो स्वयं को बाहर जाने का योग न होकर सन्तान को होता है। ऐसे व्यक्ति सहृदय व प्रेमी होते हैं। चन्द्र रेखा निर्दोष होने पर ये जीवन साथी के बिना नहीं रह सकते। जीवन रेखा दोषपूर्ण होने पर इनकी किसी सन्तान में चरित्र दोष जैसे दुराचार, चोरी या मद्यपान होता है। ऐसे व्यक्ति अन्तिम आयु में धनी होते हैं, परन्तु पूर्ण चन्द्र रेखा निर्दोष होने पर हाथ में अन्य उत्तम लक्षण भी हों तो प्रारम्भ से ही धन सम्पत्ति का योग होता है। चन्द्र रेखा देर से आरम्भ होने पर मध्यायु के बाद आर्थिक स्थिति सबल होती है। जीवन रेखा से चन्द्र रेखा निकल कर गोलाकार होकर चन्द्र पर जाती हो या चन्द्र रेखा एक से अधिक हो तो भी व्यक्ति को अन्तर्ज्ञान होता है। ऐसे व्यक्तियो को आगे होने वाली घटनाओं का पता चलता रहता चित्र-196 कभी-कभी चन्द्रमा पर एक अर्द्ध-चन्द्राकार रेखा भी देखी जाती है। यह रेखा 265 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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