Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 268
________________ या एक से अधिक सूर्य रेखाएं हो तो कहना ही क्या? हाथ में अन्य लक्षणों को देखकर प्राप्त होने वाले धन का परिणाम कहना चाहिए। उपरोक्त प्रकार से धन प्राप्त नहीं हो तो कई साधनों से धन की विशेष आय होती है। मस्तिष्क रेखा निर्दोष, जीवन रेखा गोलाकार व विशेष भाग्य रेखा हो तो इस प्रकार की रेखाओं का फल अधिक या कम लक्षणानुसार होता है। मस्तिष्क रेखा से सूर्य रेखा निकलने पर व्यक्तिगत गुण व योग्यता के आधार पर अचानक भाग्योदय होता है। इनका काम करने का अपना ढंग होता है तथा जिस आयु में यह सूर्य रेखा मस्तिष्क रेखा से निकलती है। उस समय में प्रसिद्धि व धन प्राप्त होता है। यदि सूर्य रेखाएं त्रिकोण से निकलती हों तो विपुल धन सम्पत्ति प्राप्त होती है। इस आयु में सम्पत्ति व व्यापार में भी लाभ होता है। सूर्य रेखा का निकास मस्तिष्क रेखा से हो तो व्यक्ति को अपने किसी घर या अन्य सम्पत्ति में गड़े हुए धन का लाभ स्वयं को न होकर वंश में अन्य किसी को या किसी सन्तान आदि को होता है। __ हृदय रेखा से सूर्य रेखा निकलने की दशा में जीवन में 35 वर्ष की आयु के पश्चात् प्रकाश आता है। ऐसे व्यक्ति बड़ी आयु में विशेष उन्नति करते देखे जातेहैं। सूर्य रेखा दो होने पर इस आयु में हृदय रेखा में त्रिकोण भी हो तो सम्पत्ति व मकान का निर्माण होता है। ये सहदय, सच्चरित्र व धार्मिक होते हैं, और राम, विष्णु आदि की उपासना करते हैं। कई बार सूर्य रेखा किसी भी मंगल से निकल कर सूर्य पर जाती है। यह सूर्य रेखा संघर्ष के पश्चात् उन्नति T होने का लक्षण है। इस दशा में सम्पत्ति निर्माण के पश्चात् सम्मान प्राप्त होता है। इनके घरों में कलह रहता है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति घूमने-फिरने के शौकीन होते हैं, घर की ओर कम ध्यान देते हैं। इन्हें तीसरे या चौथे दिन बुखार होता है। जीवन में एक-दो बार ये टायफाइड से भी ग्रस्त होते हैं। ये 41 वर्ष की आयु के पश्चात् ही भाग्य निर्माण में सफल होते चित्र-198 ___ चन्द्रमा से सूर्य रेखा निकलने पर हाथ व रेखाएं निर्दोष हों तो आध्यात्मिक उन्नति का लक्षण है। अज्ञान रेखा भी होने पर इस सम्बन्ध में विशेष उन्नति होती है। ये पूर्ण ईश्वर अनुभूति की ओर बढ़ते हैं। ऐसे व्यक्ति योग व ज्ञान में भी विशेष रूचि रखते हैं। मस्तिष्क रेखा की शाखा या मस्तिष्क रेखा स्वयं चन्द्रमा की ओर जाने की दशा में मिश्रित ज्ञान के अनुयायी, ज्ञानी व भक्त होते हैं। ये ध्यान सिद्ध होते हैं और 267 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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