Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 265
________________ ही साझा व कार्य छोड़ना पड़ता है। शुक्र से कोई रेखा आकर भाग्य रेखा को छूती हो तो व्यक्ति की साझादारी या प्रेम सम्बन्ध होता है। यदि यह रेखा मुड़ कर भाग्य रेखा के साथ जाती हो तो ऐसे सम्बन्ध लम्बे समय तक चलते हैं और कारोबार में उन्नति होती है। शुक्र रेखा, भाग्य रेखा पर मिलकर यदि भाग्य रेखा में कोई दोष उत्पन्न नहीं करती हो या भाग्य रेखा आगे चलकर दोषपूर्ण नहीं हो तो भी साझादारी या सम्बन्ध लम्बे समय तक चलते हैं व उन्नति होती है। यदि शुक्र चित्र-194 रेखा, भाग्य रेखा को काट देती हो तो प्रेम सम्बन्धों या साझेदारी में रुकावट होती है। शुक्र रेखा में द्वीप होने पर प्रेमी या साझी के स्वभाव के कारण अशान्ति रहती है। ऐसे व्यक्तियों को प्रेम में पहले ही बदनामी मिल चुकी होती है। अंगूठे के नीचे त्रिकोण होने पर यदि एक रेखा उससे निकलकर भाग्य रेखा में मिलती हो तो ऐसे व्यक्तियों का जीवन साथी या प्रेमी, धन, मकान आदि लेकर आता है। __भाग्य रेखा दोषपूर्ण होने पर, यदि शुक्र रेखाएं हों और उनमें से एक या दो शुक्र रेखाएं दोषपूर्ण हों तो साझेदारी में कार्य करना होता है और किसी साझेदार के कारण परेशानी रहती है। - दूसरे प्रकार की रेखाएं शुक्र से निकल कर मंगल की ओर जाती हैं। ये भी शुक्र रेखाएं ही कहलाती हैं। ये रेखाएं निर्दोष व सुडौल होने पर व्यक्ति की स्मृति उत्तम होती है (चित्र-194)। इनमें किसी रेखा में द्वीप हो तो परिवार में किसी को स्नायु रोग या पागलपन होता है। ये रेखाएं टूटी हों तो स्मृति कमजोर होती है, मस्तिष्क चित्र-195 रेखा में भी दोष हो तो यह प्रखर रूप में होता है। शुक्र रेखा का सम्बन्ध, व्यक्ति के जीवन में दूसरों से होने वाले लाभ व व्यापार में साझेदारी में लाभ से है। स्वतन्त्र रूप से इन रेखाओं का फल कहना उचित नहीं। हाथ में दूसरे उपस्थित लक्षणों के साथ समन्वय करने के पश्चात् इनका फल कहना चाहिए। 264 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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