Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 263
________________ तक ही धनी हो जाते हैं। कभी-कभी यह रेखा निराधार बृहस्पति पर निकल कर शनि की उंगली के नीचे तक जाती है (चित्र - 191 ) । हाथ उत्तम व अन्य उत्तम लक्षण होने पर यह करोड़पति होने का लक्षण है। यह रेखा बहुत कम हाथों में पाई जाती है, अतः सही निर्णय के पश्चात् ही इसका फल कहना चाहिए। देखने में यह मस्तिष्क रेखा का टुकड़ा लगती है। ऐसे व्यक्तियों की प्रत्येक इच्छा पूर्ण होती है और निरन्तर आध्यात्मिक उन्नति करते देखे जाते हैं। स्वभावतः ही ये पूजा पाठ करने वाले, गुरू संरक्षण में रहने वाले, धार्मिक या अन्य साहित्य का अध् ययन व निर्माण करने वाले होते हैं। किसी भी स्तर के हाथों में होने पर यह उसे शासन व बड़प्पन का अवसर प्रदान करती है। साधारण व्यक्ति के हाथों में होने पर भी व्यक्ति समाज, मोहल्ले या जिस भी स्तर पर हो, सम्मानित होते हैं। ऐसे व्यक्ति उत्तम सलाहकार होते हैं, स्वार्थवश किसी को गलत सलाह नहीं देते। ये अपने मस्तिष्क के आधार पर ही उन्नति करते हैं और अचानक भाग्योदय प्राप्त करते हैं। एक साथ दो रेखाएं होने पर व्यक्ति में बचपन से ही शासन की योग्यता होती है और समय आने पर बहुत योग्य सिद्ध होते हैं। ऐसे व्यक्ति कुशल व उत्तरदायी होते हैं। साधक होने पर शीघ्र व अभूतपूर्व सफलता प्राप्त करते हैं। ये धर्म प्रवर्तक चित्र - 192 Jain Education International के रूप में प्रसिद्ध होते हैं और जनहित के कार्यों का सम्पादन करते हैं। ऐसे व्यक्ति महत्वाकांक्षी होते हैं परन्तु महत्वाकांक्षी जनहित में विलीन करके धन्य होते हैं। हाथ में विशेष भाग्य रेखा, द्विभाजित मस्तिष्क रेखा, लम्बी उंगलियां, एक से अधिक अन्तर्ज्ञान रेखाएं, गुलाबी व लम्बा हाथ आदि लक्षण भी हों तो मृत्यु के पश्चात् भी परम पुरुष के रूप में जाने जाते हैं। ऐसे हाथों में भी दो बृहस्पति रेखाएं होती हैं। 262 चित्र - 191 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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