Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 262
________________ पूरा सुख होता है। जीवन रेखा अधिक गोलाकार होने की दशा में जीवन साथी का स्वास्थ्य तो नरम रहता है, परन्तु आपस में प्रेम रहता है और वह दीर्घायु होता है। सूर्य रेखा, प्रभावित रेखा या इसके पास से निकलने पर ससुराल से धन लाभ होता है। जीवन रेखा, भाग्य व विवाह रेखा में त्रिकोण आदि शुभ लक्षणों से भी ससुराल से धन लाभ होता है। विवाह रेखा, टुकड़े-टुकड़े होकर आगे बढ़ती हो तो भी गृहस्थ सुख में रुकावट होती है। विछोह व मिलन का क्रम रहता है। यदि विवाह रेखा द्विभाजित हो व प्रभावित रेखा भी हो तो ऐसे व्यक्तियों का दूसरों से सम्पर्क रहता है अर्थात् अपने जीवन साथी के अलावा भी दूसरों से यौन सम्पर्क रखते हैं। ___ विवाह रेखा की एक शाखा मुड़कर हृदय रेखा पर या लम्बी होकर मस्तिष्क रेखा पर मिली हो तो मार-पीट, आत्महत्या, प्रजनन, आग या जहर से मृत्यु को प्राप्त होते हैं। मस्तिष्क रेखा का निकास मंगल से या मंगल से कोई शाखा आकर मस्तिष्क रेखा को छूने, अंगूठा कम खुलने, मोटा व उंगलियां भी मोटी होने पर व्यक्ति क्रोध के वशीभूत होकर या झगड़े में अपने जीवन साथी की हत्या कर देते हैं। ऐसे व्यक्तियों की मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष होता है। विवाह की आयु के विषय में भाग्य रेखा के वर्णन के समय विस्तार से बताया गया है। भाग्य रेखा छोटी से पतली होने, उसमें सुन्दर प्रभावित रेखा मिलने, भाग्य रेखा का बाहर की ओर झुकाव व भाग्य रेखा के बड़े द्वीप का अन्त होने की आयु में विवाह होता है। अन्यथा इस आयु में कोई प्रेम सम्बन्ध हो जाता है। समय के विषय में विवाह रेखा कोई निर्देश नहीं करती। इस सम्बन्ध में व्यक्ति के सामाजिक कार्य व उसकी व्यक्तिगत स्थिति भी ध्यान में रखनी चाहिए। बृहस्पति रेखा या इच्छा रेखा - इस रेखा को इच्छा रेखा भी कहते हैं। यह रेखा जीवन रेखा से निकलकर बृहस्पति पर जाती है। कभी-कभी ये दो होती हैं। लम्बी व निर्दोष होना इनका गुण है (चित्र-190 तथा 191)। ____ यह रेखा अफसरों अर्थात् अधिशांसी व्यक्तियों के हाथों में पाई जाती हैं। ऐसे व्यक्ति उच्च स्तर अर्थात् चित्र-190 वायुसेना, जलसेना आदि में ऊंचे पदों पर होते हैं। यदि बहस्पति के नीचे से दो बृहस्पति रेखाएं निकलकर बृहस्पति पर जाती हों तो व्यक्ति बाईस वर्ष की आयु 261 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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