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व राह रेखा का फल करती है। ऐसी रेखाएं प्रायः ऐसे व्यक्तियों के हाथों में पाई जाती हैं, जिनके घर में किसी न किसी को गन्दी आदत जैसे शराब पीना आदि होती है। आने वाली पीढियों में भी यह प्रभाव रहता है। स्त्रियों के हाथों में उपरोक्त लक्षण होने पर ऐसी स्त्रियों के पति चरित्र आदत व व्यवहार के ठीक नहीं होते। धन के सम्बन्ध में भी इन्हें परेशानी रहती है।
जीवन रेखा मोटी, पतली, फिर मोटी, फिर पतली होने पर शुक्र या चन्द्रमा उन्नत हो तो मस्तिष्क के रोग होते हैं। ऐसे व्यक्ति स्नायु विकार से ग्रस्त होते हैं। इनके सिर में इतना भयंकर दर्द होता है कि जैसे कोई छेद कर रहा हो। वास्तव में यह स्नायु रोग है। इनके मस्तिष्क में कोई रसोली या कैंसर आदि नहीं होता। स्नायु रोग के फलस्वरूप ही इस प्रकार का दर्द होता है। दो राहु रेखाएं होने पर इसे प्रेत-बाधा का कारण माना जाता है, जबकि यह रोग होता है।
राहु रेखा से बना हुआ त्रिकोणात्मक द्वीप स्त्री के हाथ में हो और जीवन रेखा में दोष, शुक्र उन्नत व अन्य वासनात्मक लक्षण हों तो ऐसी स्त्रियां बड़ी आयु के व्यक्तियों से लम्बे समय तक यौन सम्पर्क रखती हैं। स्त्रियों को यह लक्षण होने पर रक्त स्राव, गर्भपात आदि दोष भी पाये जाते हैं। मंगल रेखा होने पर ऐसी स्त्रियां अपने प्रेमियों से धन व सम्पत्ति का लाभ प्राप्त करती हैं, परन्तु इस दशा में अन्य रेखाओं में दोष नहीं होना चाहिए। चन्द्रमा से निकलकर मोटी भाग्य रेखा, हृदय रेखा पर रुकने, शुक्र अधिक उन्नत और हृदय रेखा सीधी बृहस्पति पर जाने की दशा में निश्चित ही ऐसी स्त्रियों के अनैतिक सम्बन्ध पाये जाते हैं। - इनके पड़ोसी, रिश्तेदार, परिवार, मकान मालिक आदि से झगड़े भी पाये जाते हैं। कोई सम्बन्धी इनसे विरोध करता है और बरबाद करने की योजना बनाता है। इनकी कन्या को ससुराल में आराम नहीं मिलता, लेन-देन के पीछे झगड़े रहते हैं और कन्या की ससुराल वाले उसे परेशान करते हैं। विशेष दोषपूर्ण लक्षण होने की दशा में तलाक, मृत्यु, आत्महत्या आदि की घटनाएं होती हैं। ___ राहु रेखा वास्तव में मुख्य रेखा न होकर गौण रेखा है। परन्तु फल के विषय में बहुत महत्वपूर्ण है। अतः भली-भांति देखकर व अन्य लक्षणों से समन्वय करने
चित्र-186 के पश्चात् इस रेखा का फल कहने से चमत्कारिक फल प्राप्त होते हैं। किन्हीं हाथों में शुक्र से निकलकर एक रेखा जीवन रेखा को काटती हुई चन्द्रमा
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