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है। मगर बृहस्पति पर चतुष्कोण होने पर उसकी रक्षा हो जाती है। बृहस्पति पर पाया जाने वाला चतुष्कोण, व्यक्ति की प्रत्येक खतरे से रक्षा करता है।
राहु रेखा
साधारणतया मंगल से निकल कर, जीवन व भाग्य रेखा को काट कर मस्तिष्क रेखा को छूने या उसे भी काट कर हृदय रेखा तक जाने वाली रेखाएं, राहु रेखाऐ कहलाती हैं (चित्र-180, 181, 182)।
हाथ में इनकी संख्या एक से लेकर तीन-चार तक होती हैं। हाथ में अधिक रेखाएं होने पर ऐसी पतली रेखाएं भी महत्वपूर्ण होती हैं। मोटी राहू रेखाएं अधिक महत्वपूर्ण
होती हैं।
ये रेखाएं दोषपूर्ण लक्षण हैं क्योंकि जिस आयु में मस्तिष्क रेखा, भाग्य रेखा व जीवन रेखा को काटती है, उस आयु में परेशानी करती है। जीवन रेखा को काटने पर परिवार, सन्तान व स्वास्थ्य, भाग्य रेखा को काटने पर जीवन साथी को रोग व व्यापारिक चिन्ता तथा मस्तिष्क रेखा को काटने पर ये उस आयु में किसी सम्बन्धी की मृत्यु, हानि या बुखार का संकेत करती है। हृदय रेखा को छूने पर उस आयु में किसी प्रेमी
की मृत्यु या विछोह का संकेत है। चित्र-180
अनेक राहु रेखाएं होने पर व्यक्ति को हर दो या तीन साल के पश्चात् पतन का मुंह देखना पड़ता है और अन्तिम राहू रेखा की आयु के पश्चात् ही सांस आता है। राहू रेखा जितनी मस्तिष्क व जीवन रेखा के निकास के समीप होती है, उतनी अधिक दोषपूर्ण मानी जाती है। ___ मंगल से आकर मस्तिष्क रेखा पर रुकने वाली राहु रेखा मस्तिष्क रेखा को काट कर जाने की अपेक्षा अधिक हानिकर होती है और यदि यह मस्तिष्क रेखा व जीवन रेखा को काटने के बजाये, दोनों में ही रुकती हो तो अत्यन्त दोषपूर्ण होती है। यदि यह जीवन व
चित्र-181 252
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