Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 255
________________ हानि, अपने वंश में एक से अधिक विवाह, माता-पिता में से एक की मृत्यु या एक को स्वास्थ्य दोष, चाचा-चाची व बुआ आदि को वैधव्य जैसी घटनाएं ही इसके लक्षण हैं। प्रारम्भिक जीवन में ऐसे व्यक्तियों को सब प्रकार की रुकावटें आती हैं और 35 वर्ष की आयु के पश्चात् निरन्तर उन्नति करते देखे जाते हैं। मस्तिष्क रेखा, भाग्य रेखा, हृदय रेखा या जीवन रेखा में दोष होने पर यह रेखा दोषपूर्ण फलों में वृद्धि करती है। जैसे-जैसे इन रेखाओं में सुधार होता है, इसका फल भी उत्तम होता जाता है। उत्तम हाथ में निर्दोष राहु रेखा महानता की सूचक है। निर्दोष राहू रेखा होने पर व्यक्ति विनम्र और टूटी-फूटी होने पर क्रोधी होता है। मस्तिष्क रेखा, मंगल से निकली होने पर ऐसे व्यक्ति कत्ल तक कर देने की हिम्मत रखते हैं। लड़ाई के समय इनसे दूर रहना चाहिए। मोटी राहु रेखा वाले बाल्यकाल में झेंपू, भोंदू व शिक्षा में अच्छे नहीं होते । राहु रेखा व्यक्ति के पैरों में कमजोरी, टांगों पर किसी चीज़ का गिरना, घुटनों में वायु का प्रभाव होने से दर्द, शरीर में दर्द, बवासीर, आमाशय सम्बन्धी विकार, फोड़े-फुन्सी आदि का भी संकेत है। बचपन में ऐसे व्यक्ति बिस्तर में पेशाब या पखाना करते हैं। इस दशा में मस्तिष्क रेखा में दोष होना आवश्यक है। राहु रेखा वाले व्यक्तियों की जीवनरेखा मोटी रेखाओं द्वारा काटे जाने पर परिवार 日 में विरोध रहता है। इनको शंका होती है कि कोई सम्बन्धी या परिवारी इन्हें बरबाद करने पर तुला हुआ है और जादू टोने आदि का सहारा लेता है। विशेषतया स्त्रियां ऐसा अधिक सोचती हैं। Jain Education International ऐसी स्त्रियों को गर्भाशय रोग, आंखों में कमजोरी, सिर में दर्द व स्तन रोग का भी सामना करना पड़ता है । इनको गर्भाशय में सूजन या मासिक धर्म के रोग रहते हैं। किसी सन्तान की बचपन में मृत्यु या रोगी रहना, चोरी से हानि, सिर में चोट और बवासीर आदि रोग देखने में आते हैं। चित्र - 184 जीवन रेखा से निकल कर, मस्तिष्क रेखा में मिलने की दशा में राहु रेखा सीधी न होकर यदि कुछ गोलाकार हो तो अधिक दोषपूर्ण होती है ( चित्र - 184 ) | यह मस्तिष्क रेखा में मिलने पर एक त्रिकोण का आकार बनती है। इसको त्रिकोण न मानकर द्वीप माना जाता है। ऐसे व्यक्तियों को राहू रेखा से होने वाले सभी खराब फल प्राप्त होते हैं जैसे टांग टूटना, कन्धे में चोट, चोरी से हानि, जादू-टोने का भ्रम, जीवन रेखा, दोषपूर्ण होने की स्थिति में स्वास्थ्य खराब, स्वयं को या पत्नी को दांतों में रोग आदि घटनाएं होती हैं। 254 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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