Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 247
________________ । वालों के हाथों में यही लक्षण होते हैं। हाथ में आध्यात्मिक लक्षण न होने पर यदि इस प्रकार की दो रेखाएं जीवन रेखा से निकलकर बुध की ओर जाती हों। तो व्यकित को उत्तरोत्तर धनी बनाती है। (चित्र-171)। हाथ की सामर्थ्य अच्छी होने पर हवाई जहाज या पानी का जहाज खरीदते हैं। अन्तर्ज्ञान रेखा होने पर शनि की उगली की दूसरी गांठ बड़ी हो तो व्यक्ति को ज्योतिष में रुचि होती है। अन्य लक्षण जैसे बृहस्पति मुद्रिका, मस्तिष्क रेखा व हृदय रेखा के बीच में क्रास (चित्र-172-73)। चिन्ह हाथ में उपस्थित होने पर व्यक्ति ज्योतिषी होता है। वैसे भी केवल अन्तर्ज्ञान रेखा होने पर इन्हें आगे होने वाली घटनाओं का ज्ञान स्वतः ही हो जाता है। चित्र-173 स्वास्थ्य रेखा अन्तर्ज्ञान रेखा ही मस्तिष्क रेखा से ऊपर निकलकर हृदय रेखा तक जाने पर स्वास्थ्य रेखा कहलाती है (चित्र-174)। स्वास्थ्य रेखा का नहीं होना ही उत्तम है। कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि जीवन रेखा में दोष होने पर जब व्यक्ति बीमार रहता है, तो यह रेखा हाथ में बन जाती है और सात साल तक रहकर स्वास्थ्य ठीक होने पर मिट जाती है। स्वास्थ्य रेखा निर्दोष होने पर इन्जीनियरिंग व गायन आदि में रुचि होती है। ऐसे व्यक्तियों को रेडियो या टेलीविजन खरीदने, देखने या सुनने का शौक होता है। स्वास्थ्य रेखा दोषपूर्ण होने पर स्वास्थ्य सम्बन्धी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्तियों के जिगर में रोग, सिर में दर्द व पेट के रोग होते हैं। स्वस्थ्य रेखा लाल या काली होने पर कैंसर आदि भयानक रोग, इसमें द्वीप होने पर पेट का ऑपरेशन या सिर में चोट आदि की घटनाएं होती हैं। यहां एक बात विशेष रूप से वर्णन करने की है कि स्वास्थ्य रेखा का निकास जिस आयु में जीवन रेखा से होता है, व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। जब भी मोटी चित्र-174 246 CT Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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