________________
से ही समाज में सम्मान प्राप्त करता है। हाथ में दोष होने पर उत्तम और मध्यम दोनों प्रकार के साहित्य निश्चित रूप से ही समाज में सम्मान प्राप्त करता है। हाथ में दोष होने पर उत्तम और मध्यम दोनों प्रकार के साहित्य सृजन करते हैं।
बुध की उंगली तिरछी, बृहस्पति और बुध की उंगलियों के नाखून छोटे व चौकोर होने पर व्यवहारिक विशेषता पाई जाती है। ऐसे व्यक्ति ज्योतिषी, वक्ता, उत्तम कोटि के आलोचक या पारखी होते हैं। बुध और शनि का नाखून छोटा होने पर धार्मिक, आत्म-ज्ञान या कृषि सम्बन्धी साहित्य का सृजन करते हैं।
शनि श्रेष्ठ व शनि की उंगली लम्बी होने की दशा में व्यक्ति धातु सम्बन्धी या आध्यात्मिक-साहित्य का निर्माण करते देखे जाते हैं।
कुछ भी हो ये कोई न कोई बौद्धिक विशेषता रखते हैं। रेखाओं में दोष होने पर दोष के अनुसार इनके स्वभाव में कोई न कोई लक्षण पाया जाता है, तो भी समय आने पर अपनी विशेषता प्रकट करते हैं।
-
__ अन्तर्ज्ञान, स्वास्थ्य व बुध रेखा
-
- -
-
-
उपरोक्त तीनों नाम एक ही रेखा के हैं। यह रेखा अधिकतर हाथों में पाई जाती है। यह जीवन रेखा या चन्द्रमा के पास से निकल कर चन्द्रमा को एक ओर छोड़ती हुई, मस्तिष्क रेखा और कभी-कभी हृदय रेखा को भी काट कर आगे जाती है। जब यह मस्तिष्क रेखा से पहले ही समाप्त हो जाती है तो इसे अन्तर्ज्ञान रेखा या देवी-बुद्धि रेखा कहते हैं (चित्र-169)। मस्तिष्क रेखा को पार करके हृदय रेखा तक पहुंचने पर यही स्वास्थ्य रेखा कहलाती है। यही रेखा हृदय रेखा को काट कर सीधी बुध के पास जाती हो तो बुध रेखा या व्यापार रेखा कहलाती है। निर्दोष होने पर यह एक गुण है।
चित्र-169
= अफ्रज्ञान रेखा या देवी-बुद्धि रेखा
यह रेखा जीवन रेखा से निकल कर बुध की ओर जाती हुई देखी जाती है और
244
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org