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विशेष भाग्य रेखा होने पर बृहस्पति उन्नत व जीवन रेखा की कोई शाखा बृहस्पति पर जाती हो .. (चित्र-168) तो इनमें शासन करने का विशिष्ट गुण होता है। समय आने पर ऐसे व्यक्ति कुशल शासक सिद्ध होते हैं, इनके समर्थक अधिक होते हैं और हाथ अच्छा होने पर ये जनसमुदाय का हित सम्पादन करते
JLAT हैं। विशेष भाग्य रेखा वाले व्यक्ति को जीवन रेखा में दोष, टूटी या अधूरी रेखा होने पर क्रान्तिकारी स्वभाव के होते हैं और सेना या पुलिस में नौकरी करते हैं। विशेष भाग्य रेखा होने पर हाथ नरम, छोटा व
चित्र-168 एक से अधिक भाग्य रेखाएं हों तो व्यक्ति 25-26 वर्ष की आयु में ही अच्छा धन कमाने लगता है। नौकरी में होने पर इस आयु में अच्छी आय कर लेते हैं। हाथ में अधिक उत्तम लक्षण होने पर आय और भी अधिक होती है। यह भाग्य रेखा सूर्य की उंगली के नीचे तक पहुंचती हो तो व्यक्ति को तीन हजार रुपये प्रति मास तक की आय होती है और यदि शनि के नीचे तक ही हो तो बारह सौ रूपये से लेकर अट्ठारह सौ रूपये तक प्रतिमास आय रहती है। हाथ की उत्तमता व दोष के अनुसार इसमें कमी व अधिकता कर लेनी चाहिए। निर्दोष बुध रेखा होने पर ऐसे व्यक्ति व इनकी सन्तान धनी व व्यापारी होते हैं। व्यापारी होने पर ये दस, पन्द्रह या बीस हज़ार प्रति मास कमाते हैं। उपरोक्त उदाहरण के अनुसार समय के अनुकूल आय का अनुमान लगाया जा सकता है। सरकारी नौकरी में होने पर ऐसे व्यक्ति किसी बड़े अधिकारी या मन्त्री अदि के साथ कार्य करते हैं, ऐसी भाग्य रेखा होने पर व्यक्ति यदि चपरासी भी हो तो उसका सम्बन्ध किसी मन्त्री या इस स्तर के व्यक्ति से पाया जाता है। यह रेखा सम्मान का भी प्रतीक है।
विशेष भाग्य रेखा होने पर चन्द्रमा से भाग्य रेखा निकल कर शनि पर जाती हो तो चुनाव लड़ते हैं। ऐसे व्यक्तियों का वंशानुगत धन्धा व्यापार होता है। भाग्य रेखा यदि हृदय रेखा पर रुकती हो तो जन-सम्पर्क का लक्षण है, जिसके कारण इनको लोकप्रियता व प्रसिद्धि प्राप्त होती है, धन का लाभ नहीं होता।
ऐसी भाग्य रेखा विशेष लम्बी होने पर व्यक्ति की रुचि साहित्य सृजन की ओर होती है। उच्च कोटि के लेखक व पत्रकारों के हाथों में भी यह रेखा पाई जाती है। मस्तिष्क रेखा, द्विभाजित या शाखान्वित होने पर ऐसे व्यक्ति साहित्य सृजन करते हैं। शुक्र या चन्द्रमा उन्नत होने पर श्रृंगार-साहित्य का निर्माण करते हैं। मस्तिष्क रेखा चन्द्रमा पर या उसकी ओर हो, हाथ व उंगलियां लम्बी होने पर उत्तम, सैद्धान्तिक व लोकोपयोगी साहित्य का निर्माण करते हैं। ऐसे व्यक्तियों का साहित्य निश्चित रूप
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