Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 230
________________ = हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा समानान्तर बहुत से हाथों में हृदय व मस्तिष्क रेखा समानान्तर देखी जाती हैं। कई हाथों में तो शनि के पर्वत से लेकर बुध के पर्वत तक ही समानान्तर होती है। इस प्रकार की रेखा को हम समानान्तर हृदय व मस्तिष्क रेखा कहते हैं। यह आवश्यक नहीं कि दोनों में दूरी बिल्कुल समान ही हो, थोड़ा बहुत अन्तर होने पर भी ऐसी रेखाएं, समानान्तर ही मानी जाती हैं। जिन हाथों में हृदय रेखा शनि पर पूर्ण होती है या सीधी बृहस्पति पर जाती हैं, उनमें दोनों शाखाएं विशेषतया समानान्तर होती हैं। हृदय व मस्तिष्क रेखा समानान्तर होना व्यक्ति के चरित्र में गुण व दोष दोनों का ही परिचायक है। ऐसे व्यक्ति दृढ़ निश्चयी, किसी काम के पीछे पड़ने वाले होते हैं। जिस काम के पीछे पड़ते हैं, उसे पूरा करके ही दम लेते हैं नहीं तो इनकी नींद हराम हो जाती है। यदि ये किसी सत्कार्य के लिए प्रयत्न करते हैं, तो किसी भी मूल्य पर उसे पूरा करते हैं, दुष्कर्म के विषय में भी यही दशा होती है। मित्रता होने पर ये किसी भी मूल्य पर मित्रता निभाते हैं और शत्रुता होने पर जब तक इनका शत्रु जीवित रहता है, एक सांस भी चैन की नहीं ले सकते। अतः उत्तम हाथ होने पर यह लक्षण गुणों और निकृष्ट होने पर दुर्गुणों का द्योतक है। ऐसे व्यक्ति शीघ्र उन्नति करते हैं। वास्तव में उपरोक्त लक्षण व्यक्ति का मानसिक विकार है, परन्तु सत्कार्य में लग कर यह उन्नति व प्रसिद्धि का कारण बनता है। ऐसे व्यक्ति मिलनसार होते हैं। राह चलते से जान-पहचान करना इनकी आदत होती है। मित्रों में खर्चा भी करते हैं। ऐसे व्यक्तियों में मनुष्यता अधिक होती है और स्वार्थ व परमार्थ दोनों का ही ध्यान रखते हैं। दुष्ट के साथ दुष्ट तथा सज्जन के साथ सज्जन जैसा व्यवहार करते हैं। उंगलियां मोटी न होने पर क्षमा मांगने पर क्षमा भी कर देते हैं। ___इनका अपमान होने या किसी से खटकने पर जीवन भर उसे याद रखते हैं। ऐसे व्यक्ति एक गलती को अनेक बार करने के अभ्यस्त नहीं होते। यदि कोई व्यक्ति इन्हें पसन्द नहीं हो या किसी कारणवश घृणा उत्पन्न हो, तो जीवन भर उसका मुंह नहीं देखते। उदाहरण के लिए दाम्पत्य जीवन में साधारण-सी बात विशेषतया खटकने पर उसका परिणाम तलाक या विछोह हो जाता है। ये जिद्दी होते हैं, अत: विपक्ष को ही झुकना पड़ता है, टूट जायेंगे, मगर झुकेंगे नही। ये इनका सिद्धान्त होता है। अंगूठा न झुकने या कम खुलने पर, उंगलियां मोटी, हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा समानान्तर और हृदय रेखा की कोई शाखा मस्तिष्क रेखा पर मिलती हो तो दस-दस बार तलाक 229 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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