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खराब रहना, स्वप्न में बड़बड़ाना या बिस्तर में पेशाब करना आदि के दोष भी होते हैं। सन्तान का रंग व शक्ल एक जैसी नहीं होती। आधे बच्चे एक रंग व आकृति के और आधे दूसरी प्रकार के होते हैं। शिक्षा में भी इनके बच्चे प्रारम्भ में रुचि नहीं लेते। हाथ में अन्य लक्षण अच्छे होने पर आगे चलकर होशियार रहते हैं । इनके बच्चों में लम्बाई का भी यही हाल होता है। कुछ छोटे और कुछ कम लम्बे होते हैं। वैसे इनके बच्चे होशियार व चालाक होते हैं। बड़ा बच्चा सीधा, क्रोधी व लापरवाह और दूसरा तेज, चालाक व होशियार होता है। तीसरे बच्चे को कोई रोग जैसे, दौरे, आंख खराब या सांस जैसे रोग होते हैं। इनकी लड़कियों को मासिक धर्म सम्बंधी रोग पाये जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों के बच्चे 8 या 12 वर्ष की आयु तक स्वास्थ्य से कमजोर चलते हैं। लगभग हर बदलते मौसम में इनको बुखार आदि की शिकायत हो जाती है । किसी बच्चे के शरीर में गांठे भी रहती हैं, अधिकतर ऐसी गांठे गर्दन पर होती
हैं।
ऐसे व्यक्तियों के जीवन साथी का भी स्वास्थ्य ठीक नहीं होता । पुरुष होने पर इनकी पत्नी को प्रजनन कष्ट, मासिक धर्म व गर्भाशय के रोग, बेहोशी, अधिक लम्बा जोड़ होने पर दौरे आदि पड़ना देखा जाता है। कभी-कभी इन पर प्रेत-आत्मा का प्रभाव भी देखने में आता है। कहने का तात्पर्य यह है कि इनकी पत्नी को स्नायु दोष होता है। ऐसी स्त्रियों को प्रजनन कष्ट के पश्चात् लम्बे समय तक कोई न कोई परेशानी रहती है और घर पर डाक्टर की निरन्तर कृपा बनी रहती है। यदि घर का वातावरण किसी स्त्री या पुरुष के कारण ठीक नहीं हो तो ऐसे व्यक्तियों की पत्नियों को न बोलने, अधिक सहन करने और मन में कुढ़ने के कारण स्नायु रोग हो जाते
हैं।
हृदयरेखा बृहस्पति पर जाने की दशा में भी पति-पत्नी का स्वभाव नहीं मिलता और मानसिक अशान्ति रहती है क्योंकि ऐसे व्यक्ति शंका करते हैं। जीवन व मस्तिष्क रेखा का जोड़ लम्बा होने पर यह संकट और बढ़ जाता है तथा अन्त तक व्यक्ति को जीवन साथी से अशान्ति रहती है। शुक्र उन्नत होने पर ऐसे व्यक्ति सदैव ही यौन सम्बन्ध में असन्तुष्ट रहते हैं क्योंकि ये अधिक वासना प्रिय होते हैं परन्तु इनके जीवन साथी को अधिक वासना की इच्छा नहीं होती । अधेड़ अर्थात् 40-45 वर्ष की आयु के पश्चात् इस प्रकार के झंझट बहुत अधिक देखने में आते हैं। पुरुष होने पर ऐसे व्यक्तियों की पत्नी अधिक सन्तान होने या देख लेने के डर से पति के पास नहीं जाती, फलस्वरूप पति इनसे असन्तुष्ट रहते हैं। स्त्री होने पर ऐसी स्त्रियां पति के चरित्र पर शंका करती हैं और उसकी गतिविधियों पर नजर रखती हैं। ऐसी स्त्रियों के पति
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