Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 227
________________ होती हैं, तो भी शंका का समाधान नहीं होता। बार-बार पूछने के कारण भी कभी-कभी शंका पैदा हो जाती है और सम्बन्ध बिगड़ जाते हैं। उंगलियां पतली, अंगूठा लम्बा, लचीला व पतला होने पर व्यक्ति सतर्क व मेहनती होता है। अतः उपरोक्त दोष कम होते हैं। मस्तिष्क रेखा में थोड़ा भी दोष होने पर व्यक्ति किसी कार्य का विचार, कोई प्रण या मनौती करने के पश्चात् भूल जाते हैं। कभी-कभी देव दोष के कारण भी ऐसे व्यक्तियों को बड़े संकटों का सामना करना पड़ता है। जीवन रेखा एक हाथ में जुड़ी हुई तथा दूसरे में अलग होने पर व्यक्ति बहुत जिम्मेदार होते हैं परन्तु यह जोड़ लम्बा नहीं होना चाहिए। ये अपने वंश की उन्नति में विश्वास करते हैं। बृहस्पति बड़ा और भाग्य रेखा सुन्दर हो तो और भी अधिक दायित्व अनुभव करते हैं, किसी दायित्व को हाथ में लेने पर उसे पूरी तरह निभाते हैं। इस दशा में भी जीवन व मस्तिष्क रेखा के जोड़ की आयु समाप्त होने के पश्चात् ही जीवन बनता है। इनको मीठा बहुत पसन्द होता है, जबकि इससे हानि ही होती है। अधिक मीठा खाने से जिगर खराब हो जाता है और पेशाब, मधुमेह आदि रोग आ घेरते हैं, अतः ऐसे व्यक्तियों को मीठा अधिक नहीं खाना चाहिए । यह जोड़ लम्बा, पतला और सुन्दर हो तो इतना दोषपूर्ण फल नहीं करता। मोटा होने पर ही अधिक समस्याएं सामने आती हैं। पतला होने पर व्यक्ति को सिर दर्द रहता है, यह दर्द भयंकर होता है- इसे माइग्रेन ( आधा सीसी का दर्द) कहते हैं। जोड़ लम्बा होने पर मस्तिष्क रेखा विशेष लम्बी, हाथ कठोर, मस्तिष्क रेखा के आरम्भ में द्वीप या मस्तिष्क रेखा दोषपूर्ण हो तो व्यक्ति अध्ययन में ठीक नहीं होता । ग्रहण शक्ति कम होती है। अंगूठा कम खुलने पर ऐसे व्यक्ति या तो पढ़ते ही नहीं और पढ़ते हैं तो सालों तक एक ही कक्षा में रहते हैं। कई साल खराब करके शिक्षा अधूरी छोड़ते हैं। दोष निकलने या भाग्य रेखा व मस्तिष्क रेखा सुन्दर होने पर शिक्षा तो पूर्ण कर लेते हैं परन्तु व्यवधान अवश्य उपस्थित होता है। ऐसे व्यक्तियों को पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ती है या परिवार में कोई ऐसी घटना होती है, जिसके कारण शीघ्र ही काम पर जाना पड़ता है। निर्दोष मस्तिष्क रेखा होने पर ये काम या नौकरी करने के साथ पढ़ते भी देखे जाते हैं। यह अवसर जोड़ का समय समाप्त होने पर ही आता है, इससे पहले रुकावट आती है या सफलता नहीं मिलती। जोड़ के समय व्यक्ति में अध्ययन रुचि नहीं होती, इधर-उधर बैठकर, सोकर तथा व्यर्थ की पुस्तकें पढ़कर अपना समय खराब करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को सन्तान जल्दी-जल्दी होती हैं और सन्तान को बचपन में सर्दी, नाक, गले, कान दर्द, बुखार या जिगर सम्बन्धी बीमारियां रहती हैं। बचपन में पेट 226 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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