Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 233
________________ लेते हैं, यहां तक कि उनकी शक्ल देखना भी पसन्द नहीं करते। हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा समानान्तर होने पर व अंगूठा कम खुलने पर ऐसे व्यक्तियों को स्नायु रोग हो जाते हैं। मस्तिष्क रेखा लम्बी होने पर निश्चित रूप से ऐसा कहा जा सकता है। ऐसे व्यक्ति मंत्र, सम्मोहन या ऐसी साधना में बहुत शीघ्र सफलता प्राप्त कर लेते हैं। इनके अधिक मित्र नहीं होते । भाग्य रेखा मोटी और जीवन व मस्तिष्क रेखा का जोड़ लम्बा होने पर, ऐसे व्यक्तियों को अनेक स्थान परिवर्तन करने पड़ते हैं इसका कारण विरोध होता है । बृहस्पति की उंगली लम्बी या बृहस्पति उन्नत होने पर तो ये जेब में इस्तीफा लिए घूमते हैं। सम्मान पर ज़रा भी आंच आने पर फौरन इस्तीफा दे देते हैं, फलस्वरूप जीवन में स्थिरता देर से आती है। हाथ नरम, भाग्य रेखा सुन्दर, उंगलियां छोटी व पतली होने पर आरम्भ से ही स्थिर होते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि जितनी ही इनमें अधिक सहन शक्ति होती है उतनी अधिक उन्नति करते हैं। इनकी असफलता का मुख्य कारण इनका क्रोध ही होता है। ये दूसरों पर निर्भर होकर जीना नहीं चाहते। अतः शीघ्र ही काम पर आ जाते हैं। व्यर्थ बैठ कर घर वालों की रोटी खाना पसन्द नहीं करते, अपने माता-पिता से भी पैसा मांगना पसन्द नहीं करते। अतः विद्यार्थी जीवन में भी कुछ न कुछ करते रहते हैं या सब कुछ छोड़कर पैसा कमाने की ओर ध्यान देते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने में मस्त रहने वाले होते हैं, परन्तु किसी का हस्तक्षेप अपने जीवन व विचारों में पसन्द नहीं करते। स्त्री होने पर, ऐसी स्त्रियां अधिक बोलने वाली और थोड़ा भी क्रोध आने पर वातावरण खराब करने वाली होती हैं। हृदय रेखा दोषपूर्ण होने पर, मस्तिष्क रेखा में दोष या मस्तिष्क रेखा झुक कर चन्द्रमा की ओर जाने की स्थिति में, चन्द्रमा या शुक्र उन्नत होने पर आत्महत्या कर लेती हैं। हृदय व मस्तिष्क रेखा समानान्तर होने पर, यदि मस्तिष्क रेखा में दोष, जीवन व मस्तिष्क रेखा का जोड़ लम्बा होकर अंगूठा कम खुलता हो तो पागल हो जाती हैं। ऐसी स्त्रियां क्रोध में बच्चों को पीटने लगती हैं और फिर उनके साथ स्वयं भी रोती हैं। वैसे ये चरित्रशील, कम खर्च करने वाली व घर चलाने में निपुण होती हैं परन्तु इनके साथ सद्व्यवहार ही होना चाहिए। काला, पतला, टेढ़ा-मेढ़ा हाथ होने पर क्रोध में या शुक्र उठा होने पर यौन सन्तुष्टि के लिए दूसरों के साथ भाग भी जाती हैं या अपने पति की हत्या तक कर देती हैं। ऐसी स्त्रियों के पति भी क्रोधी होते हैं। ऐसे व्यक्तियों की सन्तान उन्नति करने वाली, चरित्रशील व क्रोधी होती हैं। ऐसे बच्चों की स्मृति तीक्ष्ण होती है। बचपन में बहन-भाइयों में आपस में बिल्कुल नहीं बनती, यहां तक कि एक थाली में बैठकर भोजन नहीं कर सकते। बच्चों को नाक व गले के रोग अधिक होते हैं। हाथ के अन्य लक्षणों को देखकर इसका निर्णय कर 232 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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