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रेखा के आरम्भ में दोष होने पर, प्रथम सन्तान मृत्यु को प्राप्त हो जाती है। ऐसा कहा जा सकता है कि इनकी पत्नी स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं होती। दोनों हाथों में इस प्रकार का दोष होने पर मां, दादी तथा एक पुत्रवधु को भी स्वास्थ्य चिन्ता रहती है। पति-पत्नी की आपस में बनती भी कम है। किसी न किसी बात पर तू-तू, मैं-मैं रहती है। बचपन में स्वयं का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, नजला, खांसी, जिगर या दमा आदि रोग रहते हैं। इनका जीवन साथी जीवन भर साथ नहीं दे पाता, वृद्धावस्था में बिना जीवन साथी के रहना होता है।
रेखाओं में दोष या हाथ पतला होने पर ऐसे व्यक्ति हो सकता है कि कुछ समय तक नौकरी करें, अन्यथा व्यापार में ही जाते हैं। इन्हें पढ़ाई में भी रुकावट होती है। पत्नी का स्वभाव लोभी होता है। ऐसे व्यक्तियों की पत्नियां या तो बोलती नहीं या स्पष्टवक्ता होती हैं। इनके परिवार में सभी व्यक्ति समझदार होते हैं अतः एक-दूसरे के काम में दखल नहीं देते और न ही स्वतन्त्र होने के पश्चात् एक-दूसरे से ज्यादा सम्बन्ध ही रखते हैं। मां-बाप में से एक का स्वभाव चिड़चिड़ा व स्वास्थ्य नरम होता है। पिता या दादा को कई बार भारी हानि उठानी पड़ती है, परन्तु आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है। ऐसे व्यक्तियों के परिवार में अशान्ति विशेषतया स्त्रियों के कारण कलह रहता है। पुरुषों में भी कोई स्वार्थी व परिवार से उदासीन होता है। सम्मिलित कारोबार होने पर एक व्यक्ति अलग से धन इकट्ठा करता है। इन्हें तथा पिता को भाइयों के कारण कष्ट उठाना पड़ता है। यह परेशानी भाई के स्वार्थी होने, मृत्यु होने, परिवार पालने या बंटवारे सम्बन्धी हो सकती है।
ऐसे व्यक्ति मशीन का या तेल का व्यापार करते देखे जाते हैं। हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा का एक होना बहुत उत्तम लक्षण है परन्तु उत्तम हाथ में ही यह उत्तम फल प्रदान करता है। दोषपूर्ण हाथ में यह लक्षण विकार माना जाता है। ऐसे व्यक्ति काम करने वाले होते हैं तथा अपने काम को छोड़कर सामाजिक आदि कार्यों के चक्कर में नहीं पड़ते। पूरा ध्यान देकर ही किसी काम में लगते हैं।
इन्हें जीवन में एक या दो बार जेल जाने का डर भी होता है। ऐसे व्यक्तियों को पुलिस या अध्यापक होने पर मारपीट नहीं करनी करनी चाहिए अन्यथा इनके हाथ से किसी की मृत्यु की सम्भावना रहती है। अंगूठा छोटा, मोटा अथवा टोपाकार व मस्तिष्क रेखा का निकास मंगल से होने पर ऐसे व्यक्ति हत्यारे होते हैं। हत्या के अन्य लक्षण न होने पर देखा जाता है कि इनकी मोटर या अन्य वाहन जिसमें ये सफर करते हैं, से किसी की मृत्यु हो जाती है। यदि ऐसे व्यक्ति मोटर चलाते हैं तो मोटर उलटने या पहिया निकलने की घटनाएं अनेक बार होती हैं जिसमे इनके कन्धे, टांग या हंसली में चोट लगती है।
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