Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 240
________________ जब तक वह कार्य पूरा नहीं हो जाता माता-पिता के लिए सिरदर्द बने रहते हैं। ऐसे बच्चों का स्वास्थ्य बचपन में ठीक नहीं रहता, इन्हें गला, पेट या फेफड़ों के रोग होते हैं। ऐसे बच्चे लोभी होते हैं, अतः जीवन में उन्नति करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को गले, नाक व फेफड़ों के रोग अधिक होते हैं। यदि विशेष परवाह अपने स्वास्थ्य के विषय में न करें तो इन्हें दमा हो जाता है। इनके पिता को या वंश में भी इस प्रकार के रोग होते हैं। परिवार में पैरों के रोग जैसे घुटने में दर्द, गठिया आदि भी देखने में आते हैं। ऐसे व्यक्ति जिम्मेदारी अधिक नहीं उठाते। अतः परिवार की संख्या सीमित ही रहती है। जीवन व मस्तिष्क रेखा का जोड़ लम्बा होने पर ऐसे व्यक्तियों की पत्नियों को गर्भाशय सम्बन्धी विशेष बीमारियों के कारण बेहोशी आदि फल होते हैं। गर्भपात के समय अतिस्राव भी जीवन में एक या दो बार होता है। कुछ भी हो ऐसे व्यक्ति वंश, घर व समाज के लिए वरदान सिद्ध होते हैं। 239 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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