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सीधी जीवन रेखा
सीधी रेखा अधिकतर हाथों में पायी जाती है। प्रायः ऐसा देखने में आता है कि जीवन रेखा आरम्भ में अर्थात् 35 वर्ष की आयु तक अधिक सीधी पाई जाती है, परन्तु कहीं-कहीं पूरी जीवन रेखा में ही सीधापन होता है।
उस
जिस आयु तक जीवन रेखा सीधी होती है, समय में स्वास्थ्य, सन्तान की चिन्ता, कर्ज - कलह व रोग आदि चलते रहते हैं । इस दशा में व्यक्ति के कार्य का पूरा मूल्य भी उसे नहीं मिल पाता अर्थात् जितना वह काम करता है, उस अनुपात से पारिश्रमिक नहीं मिलता ( जीवन रेखा में सीधापन होने से शारीरिक पीड़ा, पेट विकार, यकृत विकार व वासनात्मक प्रवृत्ति की अधिकता पाई जाती है। ऐसे व्यक्ति चाहते हुए भी ब्रह्मचर्य से नहीं रह सकते इनका कोई भी कार्य बिना रूकावट के सम्पन्न नहीं होता। ये बातूनी, गलत कार्य करने वाले, स्थाई न रह कर कार्य बदलने वाले, स्वयं कुआं खोद कर पानी पीने वाले होते हैं।
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इन्हें क्रोध आने पर गाली देने की आदत होती है। घरेलू जीवन में अप्रसन्नता रहती है। मगर कभी-कभी पत्नी की तारीफ करने में मास्टर देखे जाते हैं। ये छोटे दिल के व बहुत जल्द घबराने वाले होते हैं। डटकर संघर्ष करते हैं और संघर्ष करना इन्हें बुरा भी नहीं लगता ।
इनकी सन्तान योग्य होती है। हाथ सुदृढ़ होने पर सन्तान आज्ञाकारी होती है, पढ़ने में रुचि भी रखती है, इसके बावजूद उनमें से कोई एक संतान अयोग्य भी निकलती है। कोमल हाथ होने की अवस्था में सन्तान का पूर्ण सुख प्राप्त होता है।
यदि सीधी जीवन रेखा के साथ मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष हो तो प्रजनन में कष्ट का सामना करना पड़ता है। गर्भपात, रक्त स्त्राव, गर्भाशय की नली बन्द हो जाना आदि दोष पाये जाते हैं। भाग्य रेखा भी यदि मोटी हो तो ऐसा निश्चय ही होता है। जीवन रेखा सीधी होने पर व्यक्ति के पेट में खराबी
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