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पर दोषपूर्ण फलों में कमी होती है।
हृदय रेखा की शाखा मस्तिष्क रेखा पर मिलने पर व्यक्ति का भाव पक्ष अधिक क्रियाशील होता है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की राय लेकर काम करते हैं और भावुक होते
मस्तिष्क रेखा की शाखा, हृदय रेखा पर मिलने पर उसी आयु में जीवन रेखा में दोष हो तो रोग, भाग्य रेखा में दोष होने पर काम धन्धे में परेशानी या जीवन साथी से विछोह अथवा जीवन साथी को रोग का सामना करना पड़ता है। मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष व जीवन रेखा से कोई उल्टी रेखा निकलने पर या जीवन रेखा टूटने पर भारी बीमारी, मृत्यु, चोट या दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। जिस आयु में हृदय रेखा से शाखा मस्तिष्क रेखा पर मिलती है व्यक्ति गम्भीर रूप से परेशान रहता है। धन, सम्पत्ति, बीमारी आदि में उसकी आर्थिक स्थिति अत्यन्त तंग हो जाती
चित्र-156
हृदय रेखा मस्तिष्क रेखा व जीवन रेखा के निकास स्थान पर मिलती हो (चित्र-157)। तो ऐसे व्यक्ति जीवन में भारी गलतियां करते हैं। इस आयु में दिवालियापन, किसी सन्तान आदि की मृत्यु, रोजगार डूब जाना आदि की घटनाएं होती हैं। 50 या 56 वर्ष 1 की आयु में तो यह योग जीवन में कोई ऐसी घटना ! छोड़ जाता है, जिसे याद करके व्यक्ति जीवन भर रोता रहता है। निश्चय ही यह लक्षण उन व्यक्तियों के हाथों में पाए जाते हैं, जिन्हें पूर्व कर्मानुसार कोई विशेष दुःख भोगना पड़ता है। इस आयु में सम्बन्धियों से झगड़ा, सन्तान मृत्यु, दुर्घटना आदि की घटनाएं होती हैं। मस्तिष्क रेखा शाखान्वित होने पर व्यक्ति कठिनाइयों को पार कर जाते हैं। मस्तिष्क रेखा चन्द्रमा पर जाने की दशा में इस दुर्घटना के पश्चात् व्यक्ति का भी अन्त समीप समझना चाहिए।
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चित्र-157
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