Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 223
________________ उसको बड़ा कर लेते हैं। कुछ भी हो सम्पत्ति का स्वरूप साधारण से बड़ा एवं सुन्दर होता है। जीवन रेखा, भाग्य रेखा व मस्तिष्क रेखा में दोष होने पर व्यक्ति को सम्पत्ति बनाने में अड़चनों का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति एक बार सम्पत्ति बनाकर दूसरी बार सम्पत्ति बनाने के पक्ष में नहीं होते, परन्तु फिर निर्माण करते हैं। भाग्य रेखा के आरम्भ में बड़ा द्वीप हो तो भी ऐसी भावना रहती है, जिसके कारण निर्माण में परेशानियां होती हैं। हृदय रेखा में नीचे की ओर एक के बाद एक त्रिकोण हों तो व्यक्ति को जीवन में धीरे-धीरे करके मधुरता प्राप्त होती है, संकटों से रक्षा व जीवन में उत्तरोत्तर उन्नति होती है। हृदय रेखा के ऊपर की ओर लगातार त्रिकोण हों तो जीवन में विशेष सुख प्राप्त होता है। ऊपर की ओर त्रिकोण होने पर उसी आयु में नीचे की ओर भी त्रिकोण हो तो जीवन में विशेष सुख का कारण बनता है जैसे घर में किसी भाग्यशाली सन्तान का जन्म लेना या धन लाभ होना आदि। ऐसे व्यक्तियों के एक से अधिक आय के साधन होते हैं। = हृदय रेखा में तिल । हृदय रेखा में शनि के नीचे तिल हो तो हृदय कमजोर, आग का भय व वृद्धावस्था में लकवे का डर रहता है। सूर्य रेखा के नीचे हृदय रेखा में तिल होने पर आंख चले जाने का भय रहता है। ऐसे व्यक्ति वृद्धावस्था में अन्धे हो जाते हैं। सूर्य रेखा के नीचे हृदय रेखा में तिल बदनामी का भी लक्षण है। हृदय रेखा में बुध के नीचे तिल, आंखों में दोष, बदनामी, जहर से भय व चोरी आदि घटनाओं की चेतावनी देता है। यह तिल अच्छा लक्षण नहीं माना जाता। ऐसे व्यक्ति अधिक बहस करते हैं और झूठ को सच सिद्ध करने में कुशल होते हैं। उभय रेखाएं - जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा का लम्बा जोड़ बहुत से हाथों में जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा दूर तक आपस में जुड़ी होती हैं। कभी-कभी तो यह जोड़ दो इंच तक देखा जाता है, परन्तु सवा या डेढ़ इंच होने 222 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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