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होती हैं, उनमें ये रेखाएं साधारण फल करती हैं।
कुछ रोमांच जीवन रेखा के अन्दर से निकल कर शुक्र की ओर जाते हैं। ऐसी रेखाएं उस आयु में हानि का लक्षण होती हैं। यह धन, सन्तान व पद की हानि का संकेत है। परन्तु ऐसा ही रोमांच जब एक इन्च से लम्बा हो तो शुभ माना जाता है तथा उस आयु से उन्नति का द्वार खोल देता है। एक ही आयु में यदि ऊपर और नीचे रोमांच निकलते हों तो हानि व लाभ का लेखा बराबर रहता है। जैसा है, वैसा ही समय रहता है। यदि इस प्रकार की रेखा दो इन्च या अधिक लम्बी हो तो यह भाग्य रेखा कहलाती है। ऐसे व्यक्ति धनी होते हैं ।
एक ही स्थान से दो रोमांच रेखाएं एक बाहर शनि की ओर तथा दूसरी भीतर शुक्र की ओर जाती हो तो, शनि की ओर जाने वाला रोमांच लम्बा होने पर लाभ तथा भीतर शुक्र की ओर जाने वाला लम्बा होने पर हानि का कारण होता है । परन्तु यह हानि या लाभ उस मात्रा में नहीं होते, जितना कि रोमांच एक ओर होने पर होते हैं।
चित्र - 52
द्विभाजित जीवन रेखा
जीवन रेखा शुक्र में द्विभाजित होना
जीवन रेखा जिस समय मस्तिष्क रेखा से अलग होती है, उस समय यदि यह दो भागों में बंट जाए तथा चिमटे जैसी आकृति बनाए (चित्र - 53 ) तो इसे द्विभाजित रेखा माना जाता है।
। यह वास्तव में द्वीप होता है। यहां विशेष रूप से यह ध्यान देने की बात है कि दोनों भाग एक-सी मोटाई के होने चाहिएं। इस द्विभाजन से जीवन रेखा में सीधापन आ जाता है। यह लक्षण
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चित्र - 53
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