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सन्तान आरम्भ में गैर जिम्मेदार व चिन्ता का कारण होती है।
दोषयुक्त हृदय रेखा होने पर व्यक्ति को गाली देने की आदत होती है। हाथ में रेखाएं कम हो तो यह आदत अधिक होती है। अंगूठा छोटा और उंगलियां मोटी होने पर अच्छा फल नहीं देती। क्रोध में होकर बच्चों को पीटते हैं और पत्नी को डांटते तथा मारते भी हैं।
टूटी हृदय रेखा
हृदय रेखा का टूटना हाथ में एक मुख्य दोष है। टूटी हृदय रेखा विशेषतया हृदय रोग के बारे में सूचित करती है, जबकि इसके टुकड़े एक-दूसरे से दूर हों। टुकड़े जब एक-दूसरे के ऊपर चढ़े होते हैं तो मानसिक आघात होता है, परन्तु उससे रक्षा हो जाती है (चित्र-130)। दोनों हाथों में इस प्रकार का दोष किसी की मृत्यु या भयकर रोग का लक्षण है, परन्तु उस आयु में अन्य मुख्य रेखा में भी दोष होना आवश्यक है अन्यथा साधारण फल होता है। यदि हृदय रेखा टूटकर उसका एक भाग मस्तिष्क रेखा पर मिला हो तो भी विशेष दोषपूर्ण होती है। __जब कभी हृदय रेखा टूटकर मस्तिष्क रेखा की ओर जाती है तो धन हानि व मानसिक आघात होता
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टूटी हृदय रेखा वाले व्यक्तियों को शोर-शराबा पसन्द नहीं होता। अचानक घबराहट या अचानक कोई सूचना मिलने से इनके दिल की धड़कनें बढ़ जाती
चित्र-130 हैं और अन्त में जाकर यह हृदय रोग का स्थान ले लेती है। हृदय रेखा में दोष का अन्य लक्षणों के साथ भी समन्वय कर लेना चाहिए। हृदय रेखा टूटने पर, भाग्य रेखा जिस आयु में पतली या समाप्त होती है। उस आयु में व्यक्ति का वजन बढ़ने लगता है। ऐसे व्यक्तियों को भार पर नियन्त्रण रखना चाहिए, क्योंकि वजन बढ़ने पर हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है।
सूर्य के नीचे हृदय रेखा टूटी होने पर व्यक्ति की आंखों में दोष पाया जाता है। एक हाथ में दोष होने पर उसके दूसरे भाग की आंख में दोष होता है।
- दोहरी हृदय रेखा
हाथ में अन्य रेखाओं के साथ बिल्कुल सट कर चलने वाली रेखाएं कुठार
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