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में दोष होता है। सूर्य या बुध के नीचे कोई वृत्ताकार द्वीप चाहे यह कई रेखाओं के द्वारा ही बना हो या बाहर की ओर से कोई रेखा सूर्य या बुध के नीचे छूती हो (चित्र - 144 ) और मस्तिष्क रेखा में दोष व जीवन रेखा के आरम्भ में दोष हो तो पूर्णतया अन्धा होने का लक्षण है।
कई बार हृदय रेखा पर त्रिकोण का आकार भी बुध या सूर्य के नीचे देखा जाता है (चित्र - 145 ) । यह आकार निर्दोष हृदय रेखा पर होता है। वास्तव में यह द्वीप होता है और आंखों में विशेष दोष का लक्षण है। हृदय रेखा में नीचे की ओर होने पर यह अधिक प्रभावशाली होता है।
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चित्र - 144
हृदय रेखा मंगल से निकलने पर यदि सूर्य के नीचे द्वीप हो तो भी आंखों में दोष होता है। यह दोष पित्त के कारण आंखें खराब होने का लक्षण है। ऐसे व्यक्तियों के घर में तिरछा देखने वाले (भैंगे), एक आंख बन्द करके देखने वाले या सूर्यमुखी व्यक्ति होते हैं। सन्तान पर भी इसका प्रभाव देखा जाता है। ऐसे व्यक्तियों के चरित्र में किसी न किसी प्रकार का दोष भी होता है। हृदय रेखा, सूर्य के नीचे द्वीपयुक्त होने से सन्तान की आंखें कमजोर होती हैं। हाथ पतला होने पर अधिकतर बच्चों को चश्मे का प्रयोग करना पड़ता है और भारी हाथ होने पर एक या दो चश्मे लगाते हैं। यदि मस्तिष्क रेखा में कोई दोष नहीं हो
चित्र - 145
तो कुछ समय के लिए ऐसा होकर आंखें ठीक हो जाती हैं।
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सूर्य रेखा में सूर्य के नीचे द्वीप
यह द्वीप भी आंखों के दोषों को निश्चित करता है। शनि पर्वत पर अधिक रेखाएं या मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे द्वीप होने पर अवश्य ही आंखों में दोष होता है ( चित्र - 146 ) ।
सूर्य रेखा में हृदय रेखा के नीचे द्वीप, दूर की नजर के लिए अच्छा नहीं माना
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