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व मस्तिष्क रेखाएं समीप हों तो सांस की नली का दमा होता है। ऐसे व्यक्तियों को खाते समय प्रायः कोई चीज अटक जाया करती है। मोटी रेखाओं से बना होने पर इनके गले में कोई चीज अटकने से मृत्यु होती है जैसे मछली का कांटा या हड्डी आदि । कभी-कभी यही दो द्वीप चश्मे का आकार बनाते हैं। कोई विशेष रोग न होने पर ऐसे व्यक्तियों का गला नाजुक होता है अर्थात् शीघ्र खराब होता है।
मोटी हृदय रेखा
इस प्रकार की हृदय रेखा अन्य रेखाओं की अपेक्षा मोटी देखने में आती है। कभी-कभी तो यह बहुत ही मोटी देखी जाती है अर्थात् इसकी मोटाई अन्य रेखाओं से लगभग दो गुनी तक होती है।
ऐसे व्यक्ति निर्दयी, क्षुद्र हृदय, लोभी तथा लोभ के वशीभूत होकर गलत कार्य करने वाले होते हैं। क्रोधी तो होते ही हैं, क्रोध के अन्य लक्षण होने पर तो इन दुर्गुणों की हद हो जाती है। जीवन व मस्तिष्क रेखा उत्तम होने पर आर्थिक स्थिति तो अच्छी रहती है परन्तु इनकी किसी से बनती नहीं और न ही इनके हाथ से किसी का भला होता है।
द्विभाजित हृदय रेखा
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चित्र - 151
बुध के नीचे आरम्भ में द्विभाजित हृदय रेखा
हृदय रेखा आरम्भ में द्विभाजित होने पर यह द्वीप का कार्य करती है। इसका आकार त्रिकोण जैसा होता है। परन्तु यह द्वीप ही होता है (चित्र - 152 ) । जिस आयु तक द्विभाजन होता है, व्यक्ति को गृहस्थ जीवन व अन्य सम्बन्धों
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