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हृदय रेखा में शनि के नीचे द्वीप होने पर दांतों
में कीड़ा लगना, खून जाना, गरम या ठण्डा लगना आदि रोग होते हैं। मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे झुकाव या मोटापन इस लक्षण की पुष्टि करते हैं।
हृदय रेखा में शनि के नीचे द्वीप या मस्तिष्क रेखा की ओर त्रिकोण के आकार होने पर, हाथ भी कोमल हो तो पेशाब अधिक आना, पौरुष ग्रन्थि बढ़ना या अण्डकोष में चोट
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चित्र - 149
होता है। दांतों में रोग या बिजली से हानि इसके फल है।
चित्र - 148
पर
लगना आदि घटनाएं होती हैं। हाथ कठोर होने या जीवन रेखा में दोष होने एपेन्डिसाइटिस, शुक्र पर तिल होने पर गुर्दे में पथरी या बंध्याकरण आदि का ऑपरेशन होता है। ऐसे व्यक्ति भी प्रेम सम्बन्ध में पड़ते हैं परन्तु ऐसे सम्बन्ध अभिमान के कारण समाप्त हो जाते हैं। हृदय रेखा में शनि के नीचे कभी-कभी एक चतुष्कोण देखा जाता है। यह चतुष्कोण किन्हीं अन्य रेखाओं या विशेष भाग्य रेखा के द्वारा बना होता है, जो चतुष्कोण न होकर द्वीप ही
हृदय रेखा के अन्त में बृहस्पति पर द्वीप
चित्र - 150
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हृदय रेखा के अन्त अर्थात् बृहस्पति पर द्वीप गले की बीमारी का लक्षण है । इस द्वीप के साथ जीवन रेखा के आरम्भ में भी दोष हो तो गले का ऑपरेशन करना पड़ता है। इससे टान्सिल या डिप्थीरिया होने की सम्भावना रहती है (चित्र - 150 ) |
हृदय रेखा में लगातार दो द्वीप हों तो भी गले में विशेष दोष का लक्षण है। इस दशा में हृदय
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