________________
5. जब एक भाग्य रेखा समाप्त होकर उससे काफी आगे चलकर दूसरा टुकड़ा आरम्भ होता है।
टूटी भाग्य रेखा के दोनों टुकड़े एक जैसे गहरे हों तो यह हाथ में बहुत खराब लक्षण है। इससे जीवन में महान संकट उपस्थित होता है। पति-पत्नी दोनों जिददी होते हैं व इसी कारण से तलाक हो जाता है। भाग्य रेखा जब टूट-टूट कर चलती हो तो जीवन साथी से विछोह हो जाता है। 1. जब भाग्य रेखा टूट कर अलग-अलग टुकड़ों में विभक्त होती है तो कार्य पूर्णतया रुक जाता है तथा कुछ समय पश्चात पुनः आरम्भ होता है। 2. जब भाग्य रेखा टूट कर टुकड़े एक-दूसरे के ऊपर चढ़े होते हैं तो भी झंझट या परेशानी रहती है। 3. तीसरे प्रकार के लक्षण जिसमें दो टुकड़ों को तीसरी रेखा ढकती है, झंझट तो रहता है, परन्त किसी दसरे चित्र-117 व्यक्ति के बीच में पड़ने से पुनः सम्बन्ध स्थापित हो जाते हैं। 4. चौथी प्रकार का लक्षण होने पर यदि एक भाग्य रेखा पूरी तथा एक टूटी हो तो केवल परेशानी आती है, कोई बड़ी घटना नहीं होती। 5. पांचवी प्रकार का लक्षण होने पर व्यक्ति की आय वृद्धि रूक जाती है।
-
= भाग्य रेखा पर प्रभावित रेखा =
% 3D
-
चन्द्रमा या उसकी ओर से कोई रेखा आकर भाग्य रेखा पर मिलती हो तो इसे प्रभावित रेखा कहते हैं। इनकी संख्या हाथ में एक या अधिक भी होती है। कभी-कभी जब भाग्य रेखा टूटती है तो उसके ऊपर वाले टूटे हुए भाग का झुकाव चन्द्रमा की ओर होता है। ऐसे भाग्य रेखा के टुकड़े प्रभावित भाग्य रेखा का ही कार्य करते हैं। (चित्र-118)।
प्रभावित रेखा पतली और छोटी होने पर इसका सूक्ष्म दर्शन अति आवश्यक है, अन्यथा फल गलत होने की सम्भावना रहती है अतः सावधान होकर इसका निर्णय करना चाहिए।
चित्र-118
188
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org