________________
परन्तु यह द्वीप एक विशेष प्रकार का द्वीप होता है। यह भाग्य रेखा में बना हुआ नहीं होता वरन् अन्य रेखाओं से मिलकर त्रिकोण, चतुष्कोण या अन्य प्रकार के आकार का निर्माण, भाग्य रेखा के आरम्भ में हो जाता है । यह महत्वपूर्ण लक्षण है। यह द्वीप भाग्य रेखा में कभी-कभी तो 28 वर्ष की आयु तक देखा जाता है (चित्र - 123) अन्यथा साधारणतया चमसाकार हाथों में तो यह पाया ही जाता है । इस द्वीप का सबसे अधिक दोषपूर्ण फल उस आयु में होता है, जिसमें इसकी चौड़ाई सबसे अधिक होती है। तत्पश्चात् जैसे-जैसे यह पतला होता जाता है, दोषपूर्ण फलों का प्रभाव कम होता जाता है। जिस आयु तक यह द्वीप होता है, व्यक्ति अपने कार्य, व्यवहार, आदत व घरेलू वातावरण में कुछ न कुछ अशान्ति अनुभव करता रहता है।
चित्र - 123
यदि इस द्वीप की बनावट सुन्दर हो तो यह अधिक हानि नहीं करता । सुन्दर होने की दशा में भी यदि भीतर से किन्हीं रेखाओं के द्वारा कटा-फटा हो तो अधिक हानिकारक होता है। इस द्वीप के बीच से होकर भाग्य रेखा न जाती हो अर्थात् यह द्वीप भाग्य रेखा के एक ओर बना हो व कई दूसरी रेखाएं भी इसे न काटती हों तो इसे यौनि चिन्ह कहते हैं, परन्तु इसकी आकृति सुन्दर होनी आवश्यक है । ऐसा होने पर यह उत्तम लक्षण होता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में बहुत सफल होते हैं जो सोचते हैं पूरा हो जाता है परन्तु कुछ कठिनाइयों के बाद ।
चन्द्रमा पर भाग्य रेखा में द्वीप
चन्द्रमा से निकलने वाली भाग्य रेखा यदि किसी द्वीप से निकली हो तो यह दोषपूर्ण प्रभावित रेखा जैसा फल देती है (चित्र 124 ) । व्यापार, साझेदारी व प्रेम सम्बन्धों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है । ऐसे व्यक्तियों का कोई न कोई प्रेम सम्बन्ध होता है और इसमें बदनामी होती है। भाग्य रेखा में शनि पर द्वीप या दोष होने पर प्रेमी नीचे स्तर का, मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे द्वीप होने पर प्रेमी मध्यम स्तर का और भाग्य रेखा उत्तम होने पर प्रेमी का स्तर उन्नत प्रकार का होता है। इस लक्षण से बदनामी अवश्य
192
Jain Education International
-
For Private & Personal Use Only
चित्र - 124
H. K. S-12
www.jainelibrary.org