Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 198
________________ में सूर्य रेखा, बुध रेखा आदि न हो तो भी ये हाथ पूर्ववत् फल प्रदान करते हैं। हां! यह देखने की आवश्यकता अवश्य है कि मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा तथा जीवन रेखा उत्तम कोटि की हैं या नहीं ? जितनी ही अन्य रेखाएं उत्तम होती हैं, व्यक्ति उतना ही भाग्यशाली होता है। भाग्य रेखा होने की स्थिति में यदि जीवन रेखा से, शनि के नीचे से पतली भाग्य रेखा निकलती हो, जीवन रेखा के आरम्भ में दो भाग्य रेखाएं बृहस्पति पर जाती हों, जीवन रेखा से शनि के नीचे दो भाग्य रेखाएं निकली हों तो ये मुख्य भाग्य रेखा से कहीं उत्तम फल देने वाली होती हैं। इन रेखाओं की उपस्थिति में मुख्य भाग्य रेखा उन्नति के स्थान पर रुकावट का लक्षण है। इस प्रकार से भाग्य रेखा का उत्तम हाथ में न होना ही अपेक्षाकृत लाभकर है। हाथ पतला, जीवन और मस्तिष्क रेखा दोषपूर्ण होने पर यदि भाग्य रेखा नहीं हो तो सब कुछ होते हुए भी ऐसे व्यक्ति दुःखी रहते हैं। जीवन में यश, आराम व शान्ति नहीं मिलती, अपनी गलतियों से ही दुःखी होते हैं। ऐसे व्यक्तियों का कारोबार भी बराबर नहीं चलता। ये मजदूरी जैसा छोटा कार्य, जैसे बर्तन मांजना, फेरी लगाना, कपड़े धोना आदि कार्य करते हैं। इनके हाथ भी निकृष्ट कोटि के होते हैं। पतला हाथ होने पर उंगलियां टेढ़ी हों तो ये चोर व चुगलखोर होते हैं। स्वास्थ्य खराब रहता है और परिवार से दूर रहना पड़ता है। जीवन में सब तरह के गलत कार्य जैसे भाग जाना, स्त्री बेचना, झूठा खाना, अपनी पत्नी को किसी से मिलाना या बहन के दूत का कार्य आदि करते हैं। ऐसे व्यक्तियों की मां बहन भी दुराचारिणी होती हैं। ऐसे हाथों में रेखाएं बहुत कम होती हैं। कठोर हाथों में उपरोक्त लक्षण अधिक प्रभावकारी होते हैं। रेखाएं कम होने पर इनमें दोष भी हो तो कहना ही क्या ? हृदय रेखा हृदय रेखा का स्थान हाथ की मुख्य रेखाओं में है। यह हथेली के ऊपर के भाग में उंगलियों के पास होती है। यह रेखा बुध की उंगली के नीचे से उदय होकर बृहस्पति की उंगली के नीचे या आस-पास समाप्त होती है। यह आयु रेखा भी कहलाती है, हृदय रेखा का विचार व्यक्ति के मानसिक गुणों व वंशानुगत चरित्र के सम्बन्ध में किया जाता है। अतः जब हम किसी व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करते हैं, उस दशा में हृदय रेखा का निरीक्षण आवश्यक होता है। यह रेखा जितनी ही स्पष्ट व सुडौल होती है, उतनी ही उत्तम मानी जाती है (देखे चित्र - 128 ) । , 1. दोहरी हृदय रेखा Jain Education International 197 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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