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गुण पैदा करती है। एक बात ध्यान रखने की है कि मोटी भाग्य रेखा पतली होने पर अधिक प्रभावशाली होती है। आरम्भ से ही पतली भाग्य रेखा इतनी उत्तम नहीं मानी जाती (देखें, चित्र-116)। ___भाग्य रेखा बहुत पतली होने पर बुध की उंगली टेढ़ी व हृदय रेखा जंजीर की तरह से हो तो व्यक्ति धोखेबाज होता है। यहां विशेष रूप से यह ध्यान देने की बात है कि भाग्य रेखा निकास से अन्त तक एकदम पतली व इतनी पतली होनी चाहिए कि वह मिटी-सी दिखाई दे। बुध पर जाली या क्रास का चिन्ह होने पर भी व्यक्ति धोखेबाज़ व चालाक होता है। भाग्य रेखा मोटी से धीरे-धीरे पतली होने की दशा में ऐसा नहीं कहा जा सकता, चाहे दूसरे लक्षण मिलते हों। ऐसे व्यक्तियों को यही कहना पड़ेगा कि इनका भाग्योदय भाग्य रेखा पतली होने के समय से आरम्भ होगा।
पतली भाग्य रेखा वाले व्यक्ति साधु-प्रकृति के होते हैं। भले ही कुसंग में पड़ कर कुछ समय तक इनके चरित्र में दोष रहे। मगर साधारणतया सरल प्रकृति के ही होते हैं। इनमें बौद्धिक विशेषताएं पाई जाती हैं। अखाद्य पदार्थ जैसे मांस, भांग व मदिरा आदि सेवन की आदत इन लोगों को नहीं होती, न ही इनमें चरित्र
चित्र-116 दोष होता है। ये शान्त स्वभाव, परोपकारी व दयालु होते हैं तथा बनाव श्रृंगार आदि भी पसन्द नहीं करते हैं।
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= टूटी भाग्य रेखा
भाग्य रेखा टूटी होना इसका एक दोष है। यह उस आयु में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में असन्तोष का लक्षण है। भाग्य रेखा, हाथ में 5 प्रकार से टूटी हुई पाई जाती
1. टुकड़े अलग-अलग होकर दो या अधिक खण्ड हो जाते हैं (चित्र-117)। 2. दो टुकड़े टूट कर एक दूसरे को ढकते हैं अर्थात् एक टुकड़े की समाप्ति के पूर्व दूसरा टुकड़ा प्रारम्भ होता है। 3. दो टुकड़ों को कोई तीसरा टुकड़ा ढक लेता है। 4. जब टूटी भाग्य रेखा के साथ एक दूसरी भाग्य रेखा चलती है और एक में दोष अर्थात टूटी हुई व दूसरी निर्दोष होती है।
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