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5. मस्तिष्क रेखा में लम्बा द्वीप
6. मस्तिष्क रेखा में छोटा द्वीप
7. राहु रेखा से बना द्वीप
8. मोटी मस्तिष्क रेखा 35 वर्ष तक
9. चतुष्कोण के द्वारा जुड़ी मस्तिष्क रेखा
10. दो मस्तिष्क रेखाओं के द्वारा बनाया गया द्वीप
11. द्वीप युक्त व टूटी हुई रेखा
12. हृदय रेखा में द्वीप
13. चन्द्रमा से सूर्य के नीचे मस्तिष्क रेखा में रुकी भाग्य रेखा
14. सटी हुई भाग्य रेखा,
15. अन्त में द्विभाजित हृदय रेखा ।
मस्तिष्क रेखा व हृदय रेखा दोषपूर्ण हो तो, जब भी बुखार होता है, तेज होता है और बेहोशी तक की नौबत आ सकती है। मस्तिष्क रेखा छोटी-छोटी रेखाओं द्वार काटे जाने या उसमें क्रास होने पर भी ऐसा ही होता है। जीवन व मस्तिष्क रेखा का जोड़ लम्बा हो तो निश्चित ही ऐसा होता है। दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा को राहु आदि कोई अन्य मोटी रेखा काटती हो तो उस आयु में किसी निकट सम्बन्धी की मृत्यु होती है।
मस्तिष्क रेखा में दोष समकोण, कौणिक व चमसाकार आदि उन्नत हाथों में हो तो इनके सम्बन्धियों और साझेदारों को भी इस समय में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि आत्महत्या व घर छोड़ने का विचार व्यक्ति कर बैठता है। हाथ कठोर व अंगूठा कम खुलता हो तो इस दोष के प्रभाव में कई गुना वृद्धि हो जाती है। इस समय जीवन रेखा में भी दोष हो तो बहुत अधिक परेशानी आती है, चारों ओर से ही व्यक्ति परेशानियों में घिर जाता है, कभी उन्नति तथा कभी अवन्नति होती रहती है । उतार-चढ़ाव अधिक आते हैं, कुछ समय खाली भी रहना पड़ता है। परिवार में किसी की मृत्यु भी इस आयु में होती है ।
दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा वाले व्यक्ति अस्थिर मस्तिष्क, भावुक, धार्मिक, दयालु पाये जाते हैं। क्षण में कुछ सोचते हैं और क्षण में कुछ। उंगलियां लम्बी हों तो दूसरों के प्रभाव में शीघ्र आते हैं, अन्यथा जिद्दी होते हैं और गलत बात पर भी अड़ने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति के साथ अधिक समय तक प्रेम-पूर्ण वातावरण नहीं रह सकता, फलस्वरूप इनके सम्बन्ध किसी से भी स्थायी नहीं रहते, ये किसी से भी सहयोग न मिलने की शिकायत करते रहते हैं। भावुक होने के कारण अपनी बात तथा आप बीती घटनाएं, दुःख के साथ सुनाते हैं और पत्र लिखते समय विस्तार से कहानी बयान करते हैं। इनमें सहन शक्ति कम होती है, अतः थोडे दुःख को भी बहुत बढ़ा कर दिखाने की आदत होती है। जरा-सी परेशानी में ही परिवार में कलह कर देते हैं।
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