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हृदय रेखा में दोष हो तो प्रपंच व बहाने करने वाले और आलसी होते हैं तथा दूसरों को माध्यम बना कर गलत काम करते रहते हैं। जितनी उत्तम मस्तिष्क रेखा होती है, उतना ही व्यक्ति चालाक, शक्की, परीक्षा लेने व अविश्वास करने वाले होते हैं। इनका हाथ बहुत सावधान होकर देखना चाहिए, क्योंकि ये पहले परीक्षा करते हैं।
मस्तिष्क रेखा बहुत उत्तम होने पर हृदय रेखा और जीवन रेखा में द्वीप, उंगलियां छोटी व बृहस्पति की उंगली विशेष छोटी हो तो व्यक्ति धोखा देकर पैसा कमाते हैं। ब्लैक मार्केट, तस्करी, झूठे, चालाक, मक्कार एवं नीच प्रवृत्ति के कार्य करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति बुद्धि का अपव्यय करते हैं और कठिनता से पकड़ में आते हैं।
दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा
__ मस्तिष्क रेखा जब मोटी, पतली, लाल, काली, द्वीपयुक्त, टूटी, झुकी, अधिक लम्बी, देर से शुरू होने वाली व अधिक पास से दोहरी हो तो दोषपूर्ण कहलाती है। उपरोक्त दोष जब शनि की उंगली के नीचे हो तो अधिक प्रभावकारी सिद्ध होते हैं, अन्यथा साधारण प्रभाव होता है। प्रायः कोई भी दोष उस आयु में प्रभाव करता है, जब वह मस्तिष्क रेखा में होता है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि किसी भी दोष की पुनरावृत्ति जीवन में तीन बार होती है, अतः जिस आयु में कोई दोष मस्तिष्क रेखा पर आता है, उसी में उसका प्रभाव जीवन में विशेष रूप से होता है। जीवन के वे वर्ष जिनमें पूर्ण फल घटित होते हैं- 29, 30, 34, 35, 37, 39, 40, 44, 45, 49, 50, 54, 55, 59, 60 हैं। ___ यदि कोई दोष उपरोक्त आयु के आस-पास या मस्तिष्क रेखा में विशेष स्पष्ट न हो तो ऊपर दिए हुए वर्षों में ही प्रभावकारी होता है। मस्तिष्क रेखा दोहरी हो तो प्रत्येक अच्छा या बुरा फल जीवन में अनेक बार घटित होगा, नहीं तो प्रत्येक दोष तीन बार तक घटित हो सकता है। मस्तिष्क रेखा A T में जिस आयु तक दोष होता है, उस समय कर्जदारी, धन हानि, अपव्यय, मुकद्दमेबाजी, किसी की मृत्यु, 1 बीमारी, विवाह जैसे खर्चे, परिवार में कलह, बच्चे को AT स्वास्थ्य दोष, स्वयं को रोग आदि घटनाएं होती हैं (चित्र-61)। 1. मोटी पतली जीवन रेखा 2. टूटी जीवन रेखा 3. मस्तिष्क रेखा में रुकी भाग्य रेखा 4. समानान्तर भाग्य रेखा
चित्र-61
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