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मस्तिष्क रेखा टूटी हो और दोनों भाग सितारे के द्वारा जुड़े हों तो यह मस्तिष्क में सन्निपात या विशेष रोग का लक्षण है। दोनों हाथों में होने पर मृत्यु हो जाती है। एक हाथ में चतुष्कोण व एक में सितारा हो तो आत्महत्या करने से बचता है। हृदय रेखा मोटी हो व मस्तिष्क रेखा में दोष के साथ, यदि जीवन रेखा मे कोई दोष हो तो स्वप्न में बड़बड़ाता है और नींद में उठकर चल देता है ।
दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा (आरम्भ में)
मस्तिष्क रेखा में निकास से लेकर बृहस्पति के नीचे तक दोष, जीवन रेखा से मिलने पर अधिक लम्बा जोड़ या अन्य रेखाओं से उलझी हुई होने पर यह दोषपूर्ण कहलाती है (चित्र - 62 ) ।
इन व्यक्तियों की निर्णय शक्ति कमजोर होती है तथा किसी भी कार्य के लिए ये दूसरों पर निर्भर करते हैं। यहां तक देखा गया है कि कोई भी काम जैसे कुछ खरीदना, व्यापार, किसी से बात-चीत या कोई अन्य कार्य होने पर किसी साथी की आवश्यकता होती है। उनकी आदत आज का काम कल पर छोड़ने की होती है तथा कभी जल्दबाजी करते हैं तो कभी देरी । दोष की आयु में, आर्थिक कठिनाई रहती है और किसी भी कार्य में
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चित्र - 63
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चित्र - 62
सफलता आसानी से नहीं मिलती। ऐसे व्यक्ति कुछ न कुछ वहमी अवश्य होते हैं। उंगलियां मोटी होने पर उपरोक्त दोषों की मात्रा बढ़ जाती है। इनके कान में कोई न कोई रोग जैसे कान में खुश्की, पीप, मैल अधिक आना आदि देखे जाते हैं। इनका स्वास्थ्य बचपन में ठीक नहीं रहता, पेट के रोग, बुखार, टायफाइड, चिड़चिडापन, जिगर, तिल्ली, पेट बढ़ना, पीलिया और सिर दर्द आदि बीमारियां रहती हैं। यदि दोष कुछ देर तक चलें तो ऐसे व्यक्तियों को बचपन में खुराक ठीक से न मिलने से शारीरिक कमजोरी रहती है और
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