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शिकार भी ऐसे ही व्यक्ति होते हैं।
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मस्तिष्क रेखा, मंगल से निकल कर मंगल पर जाती हो, इसके आरम्भ में त्रिकोण जैसा कोई द्वीप हो और हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा के समानान्तर हो तो ऐसे व्यक्ति अपने शत्रु को मार कर ही सुख की सांस लेते हैं, नहीं तो इनका अपना जीवन मौत जैसा रहता है। ऐसे व्यक्ति से दूर रहना चाहिए। ये आस्तीन के सांप होते हैं। इनसे मित्रता और शत्रुता दोनों ही हानिकारक होती हैं। इनको उधार देना अपने आपको खतरे में डालना है। ये जल्दबाज और दूसरों पर बात ढ़ाल कर कहने वाले होते हैं। इनकी बात काटना भी इन्हें एक प्रकार से चुनौती देना है। बृहस्पति उन्नत होने पर, ऐसे व्यक्ति मौके पर तो चुप हो जाते हैं, परन्तु बाद में उसी बात को लेकर सम्मान के ग्राहक बन जाते हैं। यदि हाथ में इस अवस्था में लाली हो तो जेल जाने या कत्ल करने वाले, दुष्चरित्र व गुण्डे होते हैं। यह अवश्य देख लेना चाहिये कि पहले बताये हुए अपराधियों के गुण, जैसे उंगलियां व अंगूठा मोटा आदि इनके हाथ में हैं या नहीं ? यदि उंगलियां पतली हों तो इन गुणों में काफी कमी हो जाती हैं। अंगूठा लचीला या लम्बा हो तो दुर्गुण और भी कम हो जाते हैं। हाथ गुलाबी होने पर तो व्यक्ति के चरित्र में दया की मात्रा बढ़ जाती है। लाल हाथ होने पर अंगूठा छोटा हो तो भी व्यक्ति में क्रोध की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है। घृणा या क्रोध आने पर घर छोड़ देते हैं, नहीं तो घर छोड़ने की धमकी तो अवश्य ही दे देते हैं।
चित्र - 68
मंगल से मस्तिष्क रेखा निकलने पर यदि मंगल उठा हुआ हो और भाग्य रेखा गहरी हो तो मांस, शराब, अण्डे आदि सेवन करने वाले होते हैं। भाग्य रेखा आगे चलकर पतली होने पर उस आयु में मांस मक्षण छोड़ देते हैं, तो भी समाज या मित्रों में बैठकर कभी-कभी मांस आदि खा लेते हैं। ऐसे व्यक्तियों का जन्म भी ऐसे घरों में होता है, जहां इस प्रकार के खाद्यों का प्रयोग किया जाता है। भाग्य रेखा फिर मोटी होने पर फिर मांसादि का प्रयोग करते हैं। मंगल रेखा से मस्तिष्क रेखा निकलती हो, यदि हृदय रेखा में दोष हो और मस्तिष्क रेखा के समानान्तर हो तो, राह चलते झगड़ा मोल लेने वाले होते हैं।
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