________________
दोहरी मस्तिष्क रेखा =
हाथ में कभी-कभी एक के स्थान पर दो मस्तिष्क रेखाएं भी होती हैं। ये हाथ विशेष प्रकार के होते हैं। यदि हाथ में विशेष गुण जैसे गोलाकार जीवन रेखा, छोटी व सीधी उंगलियां, हाथ कोमल व भारी आदि भी हों तो ऐसे व्यक्ति कुल दीपक होते हैं। दोनों मास्तष्क रेखाएं निर्दोष भी हों तो व्यक्ति आरम्भ से ही प्रखर बुद्धि व
धनी होता है। (चित्र-78)। इनमें दोष होने पर, दोष निकलने की आयु के बाद ही उन्नति कर पाते हैं।
कभी-कभी दो मस्तिष्क रेखाओं तथा भाग्य रेखा से मिल कर एक लम्बा द्वीप बन जाता है। यह दोहरी मस्तिष्क रेखा और द्वीप का फल भी करता है। जहां ऐसे व्यक्ति जैसे ही उन्नति करते हैं, वैसे ही इनके पेट का ऑपरेशन, मस्तिष्क विकार जैसे नींद
न आना, पैर में चोट लगना, आपरेशन या गर्भाशय ./
__ में रसोली होने का खतरा भी बढ़ जाता है। बुढ़ापे में चित्र-78
ऐसे व्यक्तियों की या तो स्मृति चली जाती है या स्त्री होने की दशा में दौरे आदि की शिकायत हो जाती
.
दोहरी मस्तिष्क रेखा होने पर, दूसरी मस्तिष्क रेखा देर से आरम्भ होती है तो उसके आरम्भ होने की आयु के बाद ही व्यक्ति को सफलता व उन्नति प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्ति का मस्तिष्क स्थिर नहीं होता, दुविधा रहती है।
दोहरी मस्तिष्क रेखा जब भाग्य रेखा से कटती है तो एक त्रिकोण बनता है। यह त्रिकोण द्वीप का फल देता है। त्रिकोण की आयु समाप्त होने के पश्चात् ही, ऐसे व्यक्ति जीवन में सफल होते हैं।
चित्र-79
157
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org