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स्वतन्त्र मस्तिष्क रेखा होने पर, यदि मस्तिष्क रेखा व हृदय रेखा समानान्तर हो तो एक साथ कई-कई कार्य करते देखे जाते हैं। कुछ भी हो, ये अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने की दिशा में निरन्तर प्रयत्नशील होते हैं और कर भी लेते हैं।
इस दशा में यदि भाग्य रेखा पूरी की पूरी मोटी हो व ग्रह उठे हों तो व्यक्ति बहुत लोभी होता है। ऐसे व्यक्ति के साझे में व्यापार नहीं करना चाहिए क्योंकि जिसके साथ व्यापार करते हैं, उसे चूसकर अपना घर भर लेते हैं, परन्तु ध्यान रहे कि यह भाग्य रेखा, हृदय रेखा या मस्तिष्क रेखा पर न रुक कर सीधी पार हो जानी चाहिए। ये चोर व सीना जोर होते हैं।
स्वतन्त्र मस्तिष्क रेखा के साथ अंगूठा चौड़ा हो, मस्तिष्क रेखा से अधिक दूर से निकलने पर व्यक्ति का स्वभाव घमंडी व उग्र होता है। ऐसे व्यक्ति अति स्पष्ट वक्ता व हाथ कोमल होने पर आलसी होते हैं। हाथ मजबूत होने पर आलसी तो नहीं होते परन्तु इधर-उधर घूमकर समय बरबाद करते हैं। किसी की शिक्षा मानना इनके स्वभाव के विपरीत होता है।
अंगूठा लचीला, लम्बा व पतला हो, उंगलियां पतली, छोटी व सरल तथा भाग्य रेखा पतली होने पर लक्षणों की अधिकता के अनुसार व्यक्ति में सुधार होता जाता है।
भाग्य रेखा का शनि क्षेत्र से निकलना
हाथ में शनि का क्षेत्र शनि की उंगली के नीचे कलाई तक होता है। इस क्षेत्र से निकली हुई भाग्य रेखा बहुत ही उत्तम श्रेणी की मानी जाती है। देखने में आया है कि यह भाग्य रेखा चन्द्रमा के आस-पास से न निकल कर ऊपर से निकलती
(चित्र - 103 ) । यह देर से आरम्भ हुई, भाग्य रेखा
जैसी होती है। इसका कोई भी सम्बन्ध जीवन रेखा से नहीं होता अर्थात यह किसी रेखा या अन्य चिन्ह के द्वारा जीवन रेखा से नहीं जुड़ती व 24 से 26 वर्ष की आयु में आरम्भ होती है। इस प्रकार की भाग्य रेखा को हम शनि क्षेत्र से निकली भाग्य रेखा कहते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत ही प्रगतिशील, गणमान्य, धनी व महान होते हैं। इस भाग्य रेखा के आरम्भ होने की आयु से ही, ये उन्नति आरम्भ करते हैं। इन्हें अपना जीवन स्वयं बनाना पड़ता है। भाग्य रेखाएं ऐसे हाथों में एक से अधिक हों तो बहुत ही धनवान होते हैं व
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चित्र-103
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