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देश के सहयोग से उद्योग स्थापित करने वाले होते हैं। इन्हें धन, वाहन, सम्पत्ति आदि सभी सुखों की उपलब्धि होती हैं। ये व्यापार सम्बन्ध में विदेश यात्रा करते हैं और ऐसे अवसर इनके जीवन में अनेक बार आते हैं।
भाग्य रेखा का अन्त शनि पर
भाग्य रेखा का अन्त शनि, बृहस्पति या सूर्य पर होता है। शनि पर गई हुई भाग्य रेखा दोष रहित हो तो बहुत उत्तम मानी जाती है। विशेष भाग्य रेखा के साथ हाथ गुलाबी और भारी हो । भाग्य रेखा चन्द्रमा या शनि क्षेत्र से निकलने की दशा में यह विशेष उत्तम व सुख और सौभाग्य का लक्षण है। इस लक्षण से हाथ के मूल्यांकन में वृद्धि हो जाती है (चित्र - 112)।
शनि पर गई हुई भाग्य रेखा होने पर यदि हाथ कुछ कठोर हो व शनि नीचे से नुकीला या ऊपर से उन्नत हो तो व्यक्ति की रुचि बगीचे, खेती आदि में होती है। शनि की
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चित्र - 113
चित्र - 112
उंगली होने पर तो ऐसा अवश्य ही होता है। यह भाग्य रेखा मोटी भी हो तो घर में खेती का कार्य होता है। बायें हाथ में भाग्य रेखा मोटी होने पर व्यक्ति के वंश तथा दायें हाथ में होने पर स्वयं का खेती का योग होता है, दोनों ही हाथों में भाग्य रेखा गहरी हो व हाथ अच्छा हो तो वंशानुगत कृषि कार्य पाया जाता है। शनि मुद्रिका होने पर भी खेती या खनन सम्बन्धी कार्य करते हैं। ऐसे व्यक्ति भूमि में खोद कर कुछ निकालने, पत्थर की रोड़ी बनाने या मिटटी या रेत आदि का कार्य करते हैं।
भाग्य रेखा का अन्त बृहस्पति पर
मुख्य भाग्य रेखा का अन्त बृहस्पति पर बहुत कम देखने को मिलता है या तो यह भाग्य रेखा, जीवन रेखा से बृहस्पति के नीचे से निकल कर बृहस्पति पर जाती
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