________________
हैं, उत्तम मानी जाती हैं (चित्र-109)।
शनि पर इस प्रकार की रेखाएं अधिक संख्या में हों, और कटी-फटी हों तो व्यक्ति को गठिया रोग व अल्पायु में दांत खराब हो जाते हैं।
भाग्य रेखा, हृदय रेखा से निकल कर शनि स्थान पर जाती हो तो ऐसे व्यक्ति जीवन के उत्तरार्ध में उन्नति करते हैं। उसके बाद जीवन में सुख रहता है परन्तु हाथ उत्तम व जीवन रेखा घुमावदार होनी चाहिए। ये पहले भी उन्नति तो करते हैं परन्तु अधिक प्रगति इसके बाद ही होती है। जितनी भाग्य रेखाएं हृदय रेखा से निकली। होती हैं, उतने ही व्यापार या आय के साधन होते हैं।
चित्र-109 शनि के नीचे हृदय रेखा से भाग्य रेखा निकली हो तो ठेकेदारी, सटटा या आढ़त का काम जरूर होता है। ये भाग्य रेखाएं सम्पत्ति होने का निश्चित लक्षण हैं। जमीदारों व ऊंचे ओहदेदारों के हाथों में ऐसे चिन्ह होते हैं। शनि के नीचे त्रिकोण की आकृति इन भाग्य रेखाओं द्वारा बनती हो तो उस आयु में व्यक्ति सम्पत्ति निर्माण करता है।
भाग्य रेखा का सूर्य रेखा से निकलना
कई बार सूर्य रेखा से भाग्य रेखा निकल कर शनि स्थान पर जाती हुई देखी जाती हैं। हाथ का आकार सुन्दर हो तो यह बहुत ही अच्छा लक्षण है। ऐसे व्यक्तियों का भाग्योदय अचानक होता है तथा ये जीवन में ऐसा कोई कार्य करते हैं जिससे इनकी प्रसिद्धि होती है (चित्र-110)।
जीवन रेखा गोलाकार व मस्तिष्क रेखा निर्दोष होने पर धन कमाने का नया साधन आरम्भ होता है
और इसके बाद इनका जीवन पहले से सुगम हो जाता है। जो कार्य इस आयु में आरम्भ होता है, उसमें बड़ी सफलता मिलती है। इसकी उत्तमता हाथ पर निर्भर करती है। इस विषय में आयु का निर्णय भाग्य रेखा की उस आयु से लगाना चाहिए, जहां से यह रेखा, सूर्य रेखा से निकलती है। मस्तिष्क रेखा से पहले निकलने पर 35 वर्ष से पहले तथा मस्तिष्क रेखा और
हृदय रेखा के बीच से निकलने पर 35 वर्ष के पश्चात चित्र-110
182
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org