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या पतली रेखा के द्वारा जीवन रेखा से तो सम्बन्धित नहीं है अन्यथा इसका फल जीवन रेखा से निकली भाग्य रेखा जैसा ही होता है।
जिस आयु तक यह भाग्य रेखा मोटी होती है उस आयु तक ये व्यक्ति लापरवाह देखे जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों को विश्वास-पात्र मित्र मिलते हैं, जिनसे इन्हें लाभ होता है, क्योंकि स्वयं भी मित्र के लिए त्याग करते। हैं और उनके परिवार को अपना परिवार समझते हैं। ये नये मार्ग का निर्माण करके चलते हैं फलस्वरूप परिवार में होने वाले कार्य के अतिरिक्त कोई नया धन्धा करते हैं। इन्हें दूसरों की सहायता की आवश्यकता नहीं होती तो भी इनसे सम्बन्धित व्यक्ति इन्हें सहयोग देने को तैयार रहते हैं। मस्तिष्क रेखा भी जीवन रेखा से अलग हो तो निश्चय ही किसी का सहयोग नहीं लेते या इसकी आवश्यकता ही नहीं पड़ती।
चित्र-101 ऐसे व्यक्ति स्वतन्त्र आदत के होते हैं। मस्तिष्क रेखा, जीवन रेखा से अलग हो, अंगूठा कम खुलता हो या मोटा व झुकने वाला न हो तो ये स्वतन्त्र के स्थान पर स्वछन्द स्वभाव के होते हैं। जिस समय तक भाग्य रेखा मोटी होती है, उस समय
तक अपने माता-पिता के लिए सिर-दर्द होते हैं। किसी बात को न मानना, अपनी चलाना, दूसरे की बुराई करना तथा आलोचना करना, क्रोध आने पर अपमान कर देना, इनका स्वभाव होता है।
स्वतन्त्र भाग्य रेखा की स्थिति साधारणतया जीवन रेखा से दूर ही होती है। अत: सिद्धान्ततः इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी ही रहती है। इनका सारा परिवार उन्नति करता है एवं घर में कई-कई आय के साधन पाये जाते हैं।
यदि यह भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा पर रुकती चित्र-102
हो तो ये छोटी आयु में ही विदेश चले जाते हैं। यहां यह ध्यान रखने की बात है कि भाग्य रेखा दोनों हाथों में ही मस्तिष्क रेखा पर रुकनी चाहिए, और ठीक एक ही बिन्दु पर नहीं रुकनी चाहिए। यदि भाग्य रेखा, मस्तिष्क रेखा पर एक बिन्दु पर रुकती हो तो जीवन साथी की मृत्यु हो जाती है, ऐसे व्यक्तियों की बृहस्पति की उंगली छोटी होती है।
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