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यह लक्षण दोनों हाथों में हों तो आरम्भ में बच्चों का स्वास्थ्य कमजोर व स्वभाव क्रोधी होता है।
यदि कोई दूसरी मस्तिष्क रेखा देर से आरम्भ होने वाली मस्तिष्क रेखा को ढकती हो तो 35 वर्ष या उस आयु में जिसमें कि यह ढकी जाती है, अनेक परेशानियां, रोग आदि उस दौरान जीवन में आते हैं। यह लक्षण दोनों हाथों में होने पर स्वयं को रोग, दौरे पड़ना, टांग में चोट लगना, टायफाइड व घर में किसी की मृत्यु, सम्पत्ति विनाश या उसमें झगड़ा आदि फल घटित होते हैं। केवल बाएं हाथ में होने पर, पत्नी को या फिर परिवार में उपरोक्त घटनाएं घटित होती है।
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= मोटी मस्तिष्क रेखा ।
मस्तिष्क रेखा अन्य रेखाओं से मोटी दिखाई देने पर, मोटी मस्तिष्क रेखा कहलाती है। यह भी मस्तिष्क रेखा का दोष है। जितनी अधिक यह मोटी होती है उतनी ही अधिक दोषपूर्ण मानी जाती है (चित्र-85)। मस्तिष्क रेखा अनेक बार पूरी मोटी न होकर इसका कुछ भाग मोटा देखा जाता है। जिस आयु तक यह मोटी होती । है, उसी समय तक व्यक्ति को अशान्ति रहती है। इसके ठीक होने पर जीवन साधारण रूप से चलने लगता है। साधारणतया ही रेखाएं मोटी हों तो मस्तिष्क रेखा भी साधारण मस्तिष्क रेखा की तरह से फल देती हैं। मस्तिष्क रेखा का कुछ भाग मोटा तथा कुछ पतला होना भी दोष ही है। अतः दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा के सभी फल यहां भी लागू होते हैं।
ऐसे व्यक्ति क्रोधी, चिड़चिड़े, साधु प्रवृत्ति, सरल स्वभाव के व ईमानदार होते हैं, फलस्वरूप जीवन में कई बार धोखा खाते हैं। इन्हें अधिक सोचने की आदत होती है, परन्तु मस्तिष्क पर ज्यादा भार पड़ने या कोई अधिक दुःख होने पर ये असामान्य रूप से घबराते हैं और नींद कम आने लगती है। इनमें काम की परवाह न करना, बार-बार काम बदलना, खर्च अधिक करना तथा कोई न कोई कुटेंव जैसे जुआ आदि की आदत पाई जाती है, परन्तु यह फल दोष की आयु तक ही होता है।
मस्तिष्क रेखा मोटी, उंगलियां मोटी तथा मस्तिष्क रेखा में दोष या मंगल से निकली हो या इसमें कोई रेखा मंगल से आकर मिली हो तो सन्तान या किसी भी
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