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उत्तम भाग्य रेखा वाले व्यक्ति आरम्भ से ही स्थायी होते हैं। इनके जीवन में अधिक उलट-फेर नहीं होते और प्रत्येक परिवर्तन नई आशा व उन्नति लेकर आता
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शाखान्वित भाग्य रेखा =
मूल भाग्य रेखा से कभी-कभी नई शाखाएं निकलती हैं या स्वयं ही भाग्य रेखा दो या अनेक भागों में विभक्त हो जाती हैं। इस प्रकार की भाग्य रेखा को शाखान्वित भाग्य रेखा कहते हैं (चित्र-99)।
जिस आयु में भाग्य रेखा से शाखा निकलती है, उस समय के दौरान कार्य में परिवर्तन, उन्नति, नौकरी में तरक्की, व्यापार में लाभ होता है। ऐसे व्यक्ति हर . समय नई-नई बातें सोचते रहते हैं। उत्तम हाथ होने पर दिन-प्रतिदिन प्रगति करते जाते हैं। ____ भाग्य रेखा से कोई रेखा निकल कर सूर्य पर जाती है, उस आयु में व्यक्ति कोई ऐसा कार्य करता है, जिससे उसकी प्रसिद्धि होती है और यदि कोई शाखा बृहस्पति पर गई हो तो वह उच्च पद प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति जो भी इच्छा करते हैं, वह पूरी हो जाती
चित्र-99
भाग्य रेखा से बुध पर गई हुई शाखा व्यापार सम्बन्ध में उन्नति का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति उत्तम सलाहकार होते हैं। ये स्वयं इन्जीनियर, टेक्नीकल काम करने वाले तथा अपने कार्य के विशेषज्ञ होते हैं। हाथ जितना ही उत्तम कोटि का हो फल भी उसी के अनुसार कहना चाहिए।
भाग्य रेखा पर शनि के नीचे अर्थात् अन्त में शाखा हो तो बहुत उत्तम लक्षण है। किसी भी आयु में इसका फल हो सकता है। अन्य रेखाओं में जब भी उन्नति के लक्षण आरम्भ होते हैं, तभी यह द्विभाजन अपना चमत्कार दिखाता है। ऐसे व्यक्ति पहले कितने भी दुःखी रहे हों बुढ़ापे में अवश्य ही धन, सन्तान व सम्पत्ति का सुख प्राप्त करते हैं और बुरे दिनों को शीघ्र ही भूल जाते हैं। इस प्रकार के द्विभाजन से आगे होने वाली घटनाओं को जानने की शक्ति उत्पन्न हो जाती है और कम से कम छ: महीने पहले ही किसी घटना का आभास हो जाता है।
जब भाग्य रेखा शनि के नीचे तीन भागों में विभक्त होकर त्रिशूल बनाती हो तो ऐसे व्यक्ति शिव उपासक होते हैं।
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