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9. भाग्य रेखा का निकास हृदय रेखा से 10. भाग्य रेखा से सटी भाग्य रेखा 11. प्रभावित रेखा में द्वीप 12. चन्द्रमा पर भाग्य रेखा में द्वीप
चित्र-96 का ब्यौरा
चन्द्रमा व दोनों मंगल क्षेत्रों से निकली हुई भाग्य रेखा का प्रभाव उस आयु में आरम्भ होता है, जिसमें कि शनि क्षेत्र में प्रवेश करती है। शनि क्षेत्र में प्रवेश की आयु से पहले वह प्रभावित रेखा का कार्य करती है। पतले हाथों में बहुत अच्छी भाग्य रेखा दरिद्रता का लक्षण है। हाथ जितना भारी और कोमल होता है, उत्तम भाग्य रेखा उतना ही श्रेष्ठ फल प्रदान करती है।
उत्तम भाग्य रेखा
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बहुत अच्छी भाग्य रेखा, जीवन रेखा इसके पास शनि क्षेत्र या चन्द्रमा से उदय होकर सीधी शनि की उंगली तक जाने वाली मानी जाती है (चित्र-97)।
___ यह रेखा जितनी ही पतली, जीवन रेखा से दूर तथा निर्दोष होती है, उत्तम होती है। अच्छी भाग्य रेखा के साथ जीवन रेखा से कोई भाग्य रेखा शनि स्थान के नीचे से निकलना परम आवश्यक है, अन्यथा भाग्य रेखा उतना उत्तम फल प्रदान नहीं करती, परन्तु भाग्य रेखा एक से अधिक होने पर यह अनिवार्य नहीं है।
उत्तम भाग्य रेखा वाले व्यक्ति जिस घर में जन्म लेते हैं, वह दिन पर दिन प्रगति करते हैं, रूके हुए काम तथा झंझट दूर होकर विषम परिस्थितियां भी सुगम
हो जाती हैं, ज्यों-ज्यों आयु बढ़ती है, धन व सौभाग्य चित्र-97
बढ़ता जाता है। इन्हें धन, स्त्री, सन्तान, सम्पत्ति आदि का सुख मिलता है। (चित्र-98) ऐसे व्यक्ति महत्वाकांक्षी, प्रतिष्ठित, प्रसिद्ध, कुल के मुख्य पुरुष, भरणपोषण करने वाले, नौकरों को सुख देने वाले तथा सम्मानित होते
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ऐसी रेखा बहुत कम व्यक्तियों के हाथों में पाई जाती है। ऐसे व्यक्ति धूल में पैदा होकर भी ख्याति प्राप्त करते हैं। यह असाधारण मानव होने का लक्षण है।
अन्य रेखाएं दोषपूर्ण होने पर यदि भाग्य रेखा बहुत अच्छी हो और हाथ भी उत्तम हो तो इन्हें लगातार सफलता मिलती जाती है। अन्य दोषों के कारण कष्ट तो
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